पौधे आपकी आवाज महसूस करते हैं- तनाव में होने पर, काटे जाने पर चिल्लाते हैं : रिसर्च

यदि आप मेरे जैसे हैं, तो आप ऐसे इनडोर पौधों को भी मारने में कामयाब हो जाते होंगे, जो वैसे बहुत सख्तजान होते हैं .लेकिन एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां आपके पौधों को जब पानी की जरूरत हो, वह आपको बताएं. यह ख्याल अपने आप में अजीब भले हो, लेकिन मूर्खतापूर्ण नहीं हो सकता है. हो सकता है कि आपको इस बात का अंदाजा हो या आपने उन अध्ययनों के बारे में सुना हो, जिनमें सुबूत के साथ यह बताया गया है कि पौधे अपने आसपास की आवाजों को महसूस कर पाते हैं.

अब, नए शोध से पता चला है कि वे तनाव होने (जैसे कि पानी के अभाव, या काटे जाने से)की सूरत में बाकायदा आवाजें निकाल सकते हैं.तेल अवीव विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक टीम ने दिखाया है कि टमाटर और तंबाकू के पौधे न केवल आवाज करते हैं, बल्कि इतनी तेज आवाज करते हैं कि दूसरे जीव सुन सकें.

उनके निष्कर्ष, आज जर्नल सेल में प्रकाशित हुए हैं, जो हमें पौधों की समृद्ध ध्वनिक दुनिया को समझने में मदद कर रहे हैं – एक ऐसी दुनिया जो हमारे चारों ओर है, पर कभी भी इंसान के कानो तक नहीं पहुंच पाई है. इसके बजाय, उन्होंने जटिल जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को विकसित किया है और आसपास के जीवों द्वारा उत्पादित प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण, तापमान, स्पर्श और वाष्पशील रसायनों सहित पर्यावरणीय संकेतों के जवाब में गतिशील रूप से अपना विकास बदलने की क्षमता विकसित की है.

ये संकेत उन्हें अपने विकास और प्रजनन की सफलता को अधिकतम करने, तनाव के लिए तैयार करने और प्रतिरोध करने में मदद करते हैं, और अन्य जीवों जैसे कि कवक और बैक्टीरिया के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध बनाते हैं. 2019 में, शोधकर्ताओं ने दिखाया कि मधुमक्खियों की भनभनाहट पौधों को मीठा पराग पैदा करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं. अन्य ने सरसों के परिवार के एक फूल वाले पौधे अरबिडोप्सिस में एक खास शोर के प्रति प्रतिक्रिया होते दिखाया है.

अब, लीलाच हडनी, जिन्होंने उपरोक्त मधुमक्खी पराग अध्ययन का नेतृत्व किया, की अगुवाई में एक टीम ने टमाटर और तम्बाकू के पौधों, और पांच अन्य प्रजातियों (अंगूर की बेल, हेनबिट डेडनेटल, पिनकुशन कैक्टस, मक्का और गेहूं) द्वारा उत्पन्न वायुवाहित ध्वनियों को रिकॉर्ड किया है. ये ध्वनियां अल्ट्रासोनिक थीं, 20-100 किलोहर्ट्ज़ की सीमा में, और इसलिए मानव कानों द्वारा नहीं पहचानी जा सकतीं.

शोध अभी तक मोटे तनों वाली प्रजाति (जिसमें कई पेड़ प्रजातियां शामिल हैं) के तनों से किसी भी आवाज़ का पता लगाने में विफल रहे हैं, हालांकि वे अंगूर (एक वुडी प्रजाति) के गैर-वुडी भागों से आवाज़ का पता लगा सकते हैं.

यह अनुमान लगाना अस्थायी है कि ये ध्वनियां पौधों को अपने तनाव को अधिक व्यापक रूप से संप्रेषित करने में मदद कर सकती हैं. क्या संचार का यह रूप पौधों और शायद व्यापक पारिस्थितिक तंत्रों को बदलने में मदद कर सकता है?

या शायद पौधे की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लिए अन्य जीवों द्वारा ध्वनि का उपयोग किया जाता है. उदाहरण के लिए, पतंगे अल्ट्रासोनिक रेंज के भीतर सुनते हैं और पत्तियों पर अपने अंडे देते हैं, जैसा कि शोधकर्ता बताते हैं.

फिर सवाल यह है कि क्या ऐसे निष्कर्ष भविष्य में खाद्य उत्पादन में मदद कर सकते हैं. भोजन की वैश्विक मांग तो बढ़ेगी ही. अलग-अलग पौधों या क्षेत्र के सबसे अधिक ‘शोर’ करने वाले वर्गों को लक्षित करने के लिए पानी का उपयोग करने से हमें उत्पादन को और अधिक तेज करने और कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है.

 

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