कालका-शिमला रेल ट्रैक पर भूस्खलन होते ही बजेगा हूटर, अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की तैयारी

विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलमार्ग को आधुनिक प्रणाली से हाईटेक बनाया जा रहा है। रेलमार्ग पर अब किसी भी प्रकार के खतरे का अलर्ट रेलवे को पहले ही मिल जाएगा। इसके लिए रेलवे कालका से शिमला रेल ट्रैक पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने जा रहा है।रेलवे ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिए ओएसटी स्लोप प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मा सौंपा है। अर्ली वार्निंग सिस्टम लगने के बाद रेल ट्रैक पर होने वाले खतरे से निपटा जा सकेगा। भूस्खलन से पहले ही ट्रेनों को रोककर बचाव होगा।

रेलवे की ओर से कालका- शिमला हेरिटेज ट्रैक पर पहली बार अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जा रहा है। कालका से शिमला तक 96 किलोमीटर के ट्रैक पर दो जगह यह सिस्टम लगेंगे। शिमला के जतोग और सोलन के बड़ोग में भूस्खलन अधिक होने की आशंका को देखते हुए सिस्टम लगाने के लिए जगह चिहि्नत की गई है। जतोग में सिस्टम स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। सिस्टम लगने से रेलवे को भूस्खलन की जानकारी मिल जाएगी।

इस सिस्टम में लगे सेंसर से भूस्खलन से पहले ही अलर्ट जारी हो जाएगा। यदि रेल लाइन पर कहीं  भूस्खलन होने वाला है तो रेल ट्रैक पर लगे हूटर खुद बजने लग  जाएंगे। इसके साथ ही रेलवे के अधिकारियों को भी मैसेज मिल जाएंगे कि रेल लाइन पर भूस्खलन होने वाला है या हो गया है। इसके बाद ट्रेनों की आवाजाही रोककर नुकसान से बचाव किया जा सकेगा। बीते साल बरसात में हुई त्रासदी से हेरिटेज ट्रैक को भारी नुकसान हुआ था।

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