क्या कभी पृथ्वी को खा सकेंगे सबसे नजदीक के खोज गए दो ब्लैक होल?
हाल ही में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने गाइया अभियान के आंकड़ों के आधार पर दो नए ब्लैक होल खोजे हैं जो अब तक के खोज गए ब्लैक होल में से पृथ्वी के सबसे पास हैं. ये ब्लैक होल कुछ हजार प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित हैं जिससे एक पृथ्वी के निकटतम और दूसरा उसके बाद दूरी के लिहाज से दूसरे स्थान पर स्थित ब्लैक होल है. खगोलाय नजरिए से उनकी पृथ्वी से दूरी ज्यादा नहीं बल्कि वे हमारे खगोलीय पिछले आंगन में ही मौजूद हैं. इनकी खास बात यह है कि इनके आसपास से कोई प्रकाश नहीं निकल रहा है, लेकिन क्या ये कभी पृथ्वी को निगलने की स्थिति में आ सकते हैं.
अलग ही परिवार के ब्लैक होल
यहां गौर करने वाली बात यही है कि ये ब्लैक होल नए परिवार के ब्लैक होल हैं. जहां इनमें से एक बीएच1 ओफीयूकस तारामंडल की दिशा में 1560 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है, वहीं बीएच2 सेंटॉरस तारामंडल की दिशा में 3800 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है. इससे बीएच पृथ्वी से सबसे पास का ब्लैक होल बन गया है और बीएच2 दूसरे स्थान पर.
कैसे पता चली इनकी मौजूदगी?
दोनों ब्लैक होल के आसपास से प्रकाश नहीं निकल रहा है इसलिए इनकी खोज भी रोचक तरीके से हुई है. वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल के साथी तारों में उनके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण हो रही डगमगाहट से ब्लैक होल की उपस्थिति की पहचान की. इसी डगमगाहट से पता चला कि तारे अकेले नहीं हैं और वे किसी ऐसे पिंड का चक्कर लगा रहे हैं जो हमारे सूर्य से करीब 10 गुना ज्यादा भारी है.
दिखाई नहीं दे रहे हैं ये ब्लैक होल
वैज्ञानिकों का कहना है कि दोनों पिंड पूरी तरह से काले, दिखाई ना देने वाले हैं और उनका पता केवल गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ही चल सकता है. इन ब्लैक होल की खोज करने वाले करीम अल बद्री ने एक बयान में बताया कि ये ब्लैक होल दूसरे ब्लैक होल अलग इसलिए हैं क्योंकि ये अपने साथियों से बहुत ही ज्यादा दूर हैं.
गाइया के आंकड़ों से
बद्री ने बताया कि हो सकता है कि इन ब्लैक होल का निर्माण परंपरागत एक्स रे द्विज ब्लैक होल से बहुत अलग तरह से हुआ होगा. यह खोज गाइया अभियान के आंकड़ों के विश्लेषण से हुई जो ब्रह्माण्ड के अरबों तारों की गतिविधियों और स्थिति के मापन के लिए भेज गए थे. इस तरह के पिंडों के बारे में जानकरी दे सकते हैं जो तारों को गुरुत्व से प्रभावित करते हैं.