Cyclone Biparjoy: अत्यंत गंभीर तूफान बनेगा बिपरजॉय, आखिर कैसे पड़ता है चक्रवात का नाम, कौन तय करता है इन्हें?

चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ का खतरा तटीय इलाकों में मंडरा रहा है। आईएमडी वैज्ञानिकों ने कहा है कि चक्रवात अगले 12 घंटों में ‘बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान’ बन जाएगा। 14 जून तक यह उत्तर की ओर और फिर सौराष्ट्र-कच्छ तट की ओर बढ़ेगा, जिसे यह 15 जून को दोपहर तक पार कर जाएगा। बिपरजॉय के कारण 15 जून को गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के कराची के बीच भूस्खलन की आशंका है।

तूफान को देखते हुए गुजरात के कई जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दोपहर बिपरजॉय को लेकर समीक्षा बैठक की। आखिर बिपरजॉय क्या है? इसका नाम ‘बिपरजॉय’ ही क्यों पड़ा? किसी तूफान को नाम कैसे दिया जाता है? तूफानों को नाम देने की शुरुआत कब हुई? आइये जातने हैं…

बिपरजॉय क्या है?
अरब सागर में इस साल उठे पहले चक्रवात को ‘बिपरजॉय’ का नाम दिया गया है। पिछले कुछ दिनों में अरब सागर में रहने के बाद यह चक्रवाती तूफान छह जून की देर रात तेज हो गया। इसके बाद इसे साइक्लोन ‘बिपरजॉय’ नाम दिया गया।

‘बिपरजॉय’ बांग्ला भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘आपदा’। इस खतरनाक होते तूफान को बिपरजॉय नाम बांग्लादेश द्वारा ही दिया गया है।

कौन देता है किसी तूफान को नाम?
इस चक्रवात का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार किया गया था। दरअसल, जब एक ही स्थान पर कई तूफान सक्रिय हो जाते हैं तब ऐसी स्थिति में भ्रम को रोकने के लिए डब्ल्यूएमओ के निर्देशों के मुताबिक चक्रवातों का नामकरण किया जाता है।

इस आदेश के तहत, छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय तूफान चेतावनी केंद्रों (TCWCs) को सलाह जारी करने और दुनियाभर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नाम देने के लिए अधिकृत किया गया है। 1950 के दशक से पहले तूफानों का कोई नाम नहीं होता था।

अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी इसमें जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।

कैसे दिया जाता है नाम?
किसी भी तूफान का नाम देने के लिए वर्णमाला के हिसाब से एक लिस्ट बनी हुई होती है। हालांकि तूफान के लिए Q, U, X, Y, Z अक्षरों से शुरू होने वाले नामों का प्रयोग नहीं किया जाता है। अटलांटिक और पूर्वी उत्तर प्रशांत क्षेत्र में आने वाले तूफानों का नाम देने के लिए छह सूची बनी हुई है और उसी में से एक नाम को चुना जाता है। अटलांटिक क्षेत्र में आने वाले तूफानों के लिए 21 नाम मौजूद हैं।

इस फॉर्मूले का भी होता है प्रयोग  
तूफानों के नामकरण के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूले का भी प्रयोग किया जाता है। ईवन साल जैसे- अगर 2002, 2008, 2014 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक पुलिंग नाम दिया जाता है। वहीं, ऑड साल जैसे- 2003, 2005, 2007 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक स्त्रीलिंग नाम दिया जाता है। एक नाम को छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जबकि अगर किसी तूफान ने बहुत ज्यादा तबाही मचाई है तो फिर उसका नाम हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।

भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार, ओमान और मालदीव ने तूफानों के नामों की लिस्ट बनाकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन को सौंपी है। जब इन देशों में कहीं पर तूफान आता है तो उन्हीं नामों में से बारी-बारी से एक नाम को चुना जाता है। चूंकि इस बार नाम देने की बारी बांग्लादेश की थी, इसलिए बांग्लादेश के सुझाव पर इस तूफान का नाम ‘बिपरजॉय’ रखा गया। यह सूची आगामी 25 साल के लिए बनाई जाती है।  25 वर्षों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि हर साल कम से कम पांच चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।

बिपरजॉय को लेकर चेतावनी क्या है?
चक्रवात बिपरजॉय अरब सागर में केंद्रित है। यह पोरबंदर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 450 किमी की दूरी पर है। इसके उत्तर में बढ़ने का पूर्वानुमान है। यह 15 जून की दोपहर तक कच्छ के तट को पार करेगा, जिसकी रफ्तार 125-135 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है।

मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि 15 जून को सबसे अधिक खतरा है और सब लोगों को घर के अंदर सुरक्षित स्थान पर रहें। इसके आने से पेड़, बिजली के खंबे, सेलफोन टॉवर उखड़ सकते हैं जिसकी वजह से बिजली और दूरसंचार में व्यवधान आ सकता है। इसकी वजह से खड़ी फसलों का भी नुकसान होगा।

कैसी है सरकार की तैयारी?
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने रविवार को चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से निपटने के लिए केंद्र सरकार और गुजरात सरकार के विभिन्न विभागों की तैयारियों की समीक्षा की। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि गृह सचिव ने चक्रवात से निपटने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, एजेंसियों और गुजरात सरकार की तैयारियों की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक की अध्यक्षता की। गुजरात सरकार की तैयारी, बचाव और बहाली के प्रयासों में सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल की पर्याप्त संख्या में टीमों और उपकरणों को तैनात किया जा रहा है।

मौसम विभाग की चेतावनी के बाद गुजरात के कई जिलों को अलर्ट पर रखा गया है वे कच्छ, जामनगर, मोरबी, गिर सोमनाथ, पोरबंदर और देवभूमि द्वारका हैं। इन जिलों में 13-15 जून के दौरान भारी बारिश और बहुत तेज हवा की गति वाले चक्रवात से प्रभावित होने की आशंका है, जो 150 किमी प्रति घंटे तक जा सकती है। चक्रवात के बढ़ते खतरे को देखते हुए 1500 से अधिक लोग शेल्टर की शरण में पहुंच गए हैं। वहीं मछुआरों को 15 जून तक तट पर जाने को लेकर सतर्क कर दिया है।

चक्रवात बिपरजॉय के खरते को देखते हुए देवभूमि द्वारका जिले में स्कूलों को 15 जून तक बंद रहने के आदेश दिए हैं। देवभूमि द्वारका के कच्छ और शिवराजपुर के मांडवी बीच को लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। साथ ही ओखा बेयत द्वारका की नाव यात्रा पर भी रोक लगा दी गई है। इसके अलावा कच्छ के उपायुक्त अमित अरोरा ने कहा कि 72 गांवों के आठ हजार से अधिक लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमने हालातों को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम को तैनात कर दिया है। जबकि जामनगर, मोरबी और कच्छ जिलों में अगले दिन तक टीमों की निगाहें रहेंगी।

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