दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत पर आज फैसला आ गया. कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को एक जून तक की अंतरिम जमानत दे दी है.

सुनवाई के दौरान ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अदालत को इस मामले में केजरीवाल को मीडिया से बात नहीं करने का निर्देश देना चाहिए.

इस पर पीठ ने कहा कि उसने पहले ही आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से रोक दिया है, जिन्हें अप्रैल में इसी मामले में जमानत दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को 2 जून को जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा. इसके अलावा कोर्ट ने उनके चुनाव प्रचार करने पर भी पाबंदी नहीं लगाई है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी में ईडी की ओर से हुई देरी की ओर इशारा किया. जस्टिस खन्ना ने ईडी से कहा ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ अगस्त 2022 में केस दर्ज किया, जबकि उन्हें मार्च 2024 में गिरफ्तार किया. 1.5 साल तक वह वहां थे. उनकी गिरफ्तारी बाद में या पहले भी हो सकती थी. 21 दिन इधर या उधर से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

इससे पहले जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा था कि वह शुक्रवार को केजरीवाल को अंतरिम राहत पर आदेश पारित कर सकती है.

ईडी ने उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. पीठ ने मंगलवार को केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का संकेत दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर उन्हें अंतरिम जमानत मिलती है तो केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में किसी भी आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

ईडी ने जमानत का किया था विरोध
सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत में दिल्ली के मुख्यमंत्री की जमानत का विरोध किया था. कोर्ट में ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछली सुनवाई में पीठ से कहा था कि उन्हें केवल इसलिए राहच नहीं मिल सकती क्योंकि वह मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट राजनेताओं के लिए अपवाद बना रहा है? एक मुख्यमंत्री के साथ आम आदमी से अलग व्यवहार कैसे किया जा सकता है? क्या चुनाव के दौरान प्रचार करना इतना अहम है?

5 साल में एक बार होते हैं चुनाव
इस पर पीठ ने कहा कि चुनाव पांच साल में एक बार होते है. इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की कानूनी टीम ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर हलफनामे पर कड़ी आपत्ति जताई. मामले में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें ईडी के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताया गया है, खासकर यह देखते हुए कि मामला पहले से ही आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसले के लिए निर्धारित है.

ईडी को नहीं मिला एक भी रुपया
सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर ईडी की आपत्ति पर सवाल उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि कथित शराब घोटाले में ईडी द्वारा दो साल की जांच के बाद भी एक भी रुपया या सबूत हाथ नहीं लगा है. आप ने उल्लेख किया कि ईडी ने 21 मार्च को यानी आम चुनावों की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के 5 दिन बाद एक मौजूदा मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया.

पार्टी ने कहा कि ईडी न केवल अपारदर्शी और तानाशाही रवैया अपना रही है, बल्कि झूठ और सच्चाई को दबाने के कोशिश भी कर रही है. ईडी ने आम चुनाव के बीच में उनको गिरफ्तार करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है. केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करते हुए दलील दी कि आम चुनाव की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी ‘असाधारण विचारों से प्रेरित है.

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी केजरीवाल की याचिका
गौरतलब है कि इससे पहले 9 अप्रैल को हाई कोर्ट ने जेल से रिहाई की केजरीवाल की याचिका खारिज कर दिया था और लोकसभा चुनाव की आशंका के बीच राजनीतिक प्रतिशोध की उनकी दलील भी नकार दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि छह महीने में ईडी के 9 समन मिलने के बाद भी केजरीवाल पेश नहीं हुए. यह मुख्यमंत्री के रूप में विशेष विशेषाधिकार के किसी भी दावे को कमजोर करता है. इससे यह भी पता चलता है कि उनकी गिरफ्तारी असहयोग का नतीजा है.

Spread the News

ख़बरें जरा हटके

Verified by MonsterInsights