हिमाचल के वाटर सेस का पंजाब-हरियाणा में विरोध, मान सरकार ने पास किया निंदा प्रस्ताव

हिमाचल प्रदेश के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से वाटर सेस वसूले जाने के फैसले की पंजाब और हरियाणा सरकार ने कड़े शब्दों में निंदा की है। पंजाब सरकार ने इस संबंध में विधानसभा में निंदा प्रस्ताव भी पास किया है। वहीं हरियाणा सरकार ने भी इस फैसले का विरोध जताया है ।

2 राज्यों की सरकारों के विरोध के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाले वोटर सेस का पंजाब और हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होगा। शिमला में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल भाई-भाई हैं। कम्युनिकेशन में कहीं कोई कमी रही होगी।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार हिमाचल प्रदेश में 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से वाटर सेस वसूलेगी। इसमें पंजाब हरियाणा का कोई भी प्रोजेक्ट नहीं है। किस परिस्थिति में यह संकल्प लिया और पास किया उसे जानने की जरूरत है। हिमाचल में 172 पावरप्रोजेक्ट्स में कई प्रोजेक्ट्स प्राइवेट हैं और 27% की इक्विटी है। पंजाब का कोई प्रोजेक्ट हिमाचल में नहीं है, शानन प्रोजेक्ट की लीज भी खत्म होने वाली है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ने सेस किसी नहर पर नहीं लगाया है। प्रदेश में बहती किसी नदी पर सेस नहीं लगा है। पावर प्रोजेक्ट से वसूले जाने वाले वाटर सेस का पंजाब-हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होने वाला है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर ने सबसे पहले वाटर सेस लगाना शुरू किया। इसे लगाने में हम पीछे रह गए। पंजाब और हरियाणा के बीच जो कम्युनिकेशन का गैप रह गया है, उसे राज्य सरकार जल्द बातचीत करके दूर कर लेगी। उनका रेजोल्यूशन पढ़ने के बाद उनकी कंफ्यूजन को दूर कर दिया जाएगा और जल दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री से इस सिलसिले में बात की जाएगी।

 

 

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