बरसात-लंबी दूरी ने नहीं होने दी हसरत पूरी, प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में 20 साल बाद आया था बड़ा अवसर

विपक्षी दलों की शिमला में होने वाली बड़ी बैठक टल गई है। अब यह बैठक कांग्रेस शासित कर्नाटक के बंगलुरु में होगी। हिमाचल की दक्षिण भारत से लंबी दूरी और लगातार बरसात को बैठक टलने के पीछे बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके साथ ही एक और बड़ा कारण बरसात के दौरान प्रदेश में फ्लाइट की लैंडिग को लेकर असमंजस भी माना जा रहा है। हालांकि इससे पूर्व शिमला में बैठक को लेकर सरगर्मियां संगठन में बढ़ गई थीं। 2003 के बाद कांग्रेस इसे दूसरी बड़ी बैठक मान रही थी। इसको लेकर प्रदेश के नेताओं के बयान भी आने शुरू हो गए थे, लेकिन अब यह रणनीति हिमाचल में हिस्से नहीं आएगी। दरअसल इस बैठक में 17 विपक्षी दलों को हिस्सा लेना है और ये सभी दल पूरे भारत में हैं। शिमला की बैठक उत्तर भारत के राजनीतिक दलों के लिए तो आसान थी, लेकिन दक्षिण और पूर्वी हिस्से से ताल्लुक रखने वाले नेताओं के लिए शिमला पहुंचना और बैठक के बाद वापस अपने राज्यों में लौटना लंबे सफर से भरा था।

विपक्षी दलों की पटना में हुई पहली बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने शिमला में बैठक का खुलासा किया था, जबकि अब पुणे में एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने बैठक का स्थल बदलने का खुलासा किया है। इसमें बैठक के 13 और 14 जुलाई को आयोजित होने की बात कही है। फिलहाल शिमला में विपक्षी दलों की बैठक के आयोजित होने का कांग्रेस को हिमाचल में बड़ा फायदा मिल सकता था। हिमाचल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा नाता है। ऐसे में कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने का मौका था। इस बैठक को लेकर कांग्रेस में तैयारियां भी इसी अंदाज में शुरू हुई थीं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के नाते और प्रतिभा सिंह प्रदेशाध्यक्ष के नाते इस बैठक को बड़ा बता रहे थे। साथ की 20 साल बाद हिमाचल के हिस्से आई बैठक से आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के दमदार प्रदर्शन की बात कही जा रही थी।

17 राजनीतिक दल एकजुट, केंद्र से मोदी की विदाई तय

कांग्रेस महासचिव देवेंद्र बुशैहरी ने बताया कि हिमाचल में इस बैठक की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन अब इसका स्थान बदल गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल दक्षिण भारत के राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों के लिए दूर भी है और दूसरा बड़ा कारण यहां बरसात लगातार हो रही है। इसे देखते हुए हाइकमान ने बैठक स्थल बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 17 दल एकजुट हैं और अब नरेंद्र मोदी का जाना तय है।

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