पूँजीपति लोगों की तर्ज पर आम भारतीय नागरिकों के पक्ष में ऋण माफ़ी के बारे में प्रेषित की गई जनहित याचिका

मौजूदा मोदी सरकार ने 16 लाख करोड़ की भारी राशि के ऋन जो बिभिन्न बैंकों से पूँजीपतियों के नाम थे को माफ़ी दे रखी है l इसी ऋण माफ़ी के दृष्टिगत, भारतीय संबिधान में मौजूद समानता के अधिकार के तहत भारत में मौजूद आम नागरिकों के नाम 17 लाख के ऋनों की माफ़ी हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार नई दिल्ली के समकक्ष एक जनहित याचिका प्रेषित की गई है l

प्राप्त समाचार के अनुसार, कांगड़ा जिले के गांब अनसोली से तीन लिम्का बुक आफ धारक ए बी राजबंश ने, संबंधित आम भारतीय नागरिकों के पक्ष में एक जनहित याचिका राष्ट्रीय मानवाधिकार को उचित कार्यबाही हेतु प्रेषित की है l याचिका के तथ्यों के अनुसार भारत सरकार की रहनुमाई में, देश के पूंजीपतियों के नाम बिभिन्न बैंकों का तक़रीवन 16 लाख करोड़ के ऋण माफ़ किये गये हैं l यह पैसा भारत के टैक्स पेयर का ही पैसा है इसलिए उस पर समस्त भारतीय नागरिकों का भी समान हक है आम भारतीय नागरिकों के नाम कुल 17 लाख करोड़ के ऋण मौजूद है l हमारे संबिधान में मौजूद समानता का अधिकार, के दृष्टिगत संबंधित ऋण राशि की माफ़ी हेतु गुहार की गई है l

आम नागरिक ऋण के बोझ तले होने से आत्महत्या करते आ रहे हैं l देश में आम नागरिकों की बस्तविकता यह है स्वयं भारत सरकार इन आम नागरिकों को, जिनकी संख्या तक़रीवन 80 लाख है को पांच किलोग्राम राशन मुफ्त में महाबार अदा कर रही है l इससे जाहिर होता है कि इन 80 करोड़ नागरिकों की आर्थिक स्तिथि उचित नहीं है l ऐसे में भारतीय टैक्स पेयर का धन एक बर्ग बिशेष यानि पूँजीपतियों पर लुटाना न्याय संगत और संबिधानिक नहीं है l इस प्रकार, प्रार्थी याचक ने हिन्दोस्तान के समस्त आम नागरिकों के नाम समस्त बैंक ऋनों को समानता के अधिकार के तहत माफ़ करवाये जाने हेतु माननीय आयोग से गुहार की है ताकि सव के मानवाधिकार सुरक्षित रह सकें l

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