हिमाचल से उद्योगों का पलायन रोकने को छह फीसदी बिजली शुल्क घटाने की तैयारी

हिमाचल से उद्योगों का पलायन रोकने के लिए सरकार बिजली शुल्क में 6 फीसदी तक कटौती कर सकती है। सितंबर में उद्योगों के लिए बिजली शुल्क 11 से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दिया गया था, इसे कम कर 13 फीसदी करने का प्रस्ताव है। वजह यह है कि जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हिमाचल के मुकाबले उद्योगों को अधिक रियायतें दी जा रही हैं। विशेष तौर पर विद्युत ड्यूटी और जीएसटी रिटर्न को लेकर बाहरी राज्य उद्योगों को आकर्षित हो रहे हैं। सरकार का मानना है कि बिजली शुल्क में कटौती से उद्योगपति बाहरी राज्यों का रुख नहीं करेंगे।

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) के उद्योगपति बिजली शुल्क में बढ़ोतरी के अलावा प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन के अधिक खर्चे और यूनियनों की दखलअंदाजी से असंतुष्ट हैं। हिमाचल में उद्योगों को कच्चा माल बाहरी राज्यों से मंगवाना पड़ता है और तैयार माल की खपत भी बाहरी राज्यों में ही है। बाहरी राज्यों को तैयार माल भेजने का मालभाड़ा 30 से 50 फीसदी तक अधिक है। बिजली के रेट और ड्यूटी बढ़ने के बाद दाम 1.10 रुपये प्रति यूनिट तक महंगे हो गए हैं। बिजली कट लगने पर जनरेटर चलाने पर भी टैक्स लगा दिया गया है।

उद्योगों के लिए हिमाचल में बिजली के मौजूदा दाम पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के बराबर हो गए हैं जबकि चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में उद्योगों को हिमाचल से सस्ती बिजली मिल रही है। हिमाचल में उद्योगों को बिजली साढ़े छह से सात रुपये, जम्मू कश्मीर में साढ़े चार, उत्तराखंड में छह और पंजाब में साढ़े छह से सात रुपये यूनिट बिजली मिलती है। वहीं, हिमाचल में उद्योगों पर जीएसटी के अलावा एजीटी (एडिशनल गुड्स टैक्स) और सीजीसीआर (सर्टन गुड्स कैरेड बाइ रोड) टैक्स का बोझ डाल दिया गया है। उत्पादन की लागत बढ़ने से कुछ उद्योग अपना विस्तार पड़ोसी राज्यों में करने की तैयारी कर रहे हैं जबकि कुछ अन्य राज्यों के लिए पलायन करने वाले हैं।

जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में उद्योगों को अधिक रियायतें मिल रही हैं। हिमाचल में विद्युत ड्यूटी में बढ़ोतरी, ट्रांसपोर्टेशन के अधिक खर्च और यूनियनों की दखलअंदाजी से औद्योगिक घराने असंतुष्ट हैं। इसे लेकर वह निजी तौर पर भी सूचित कर चुके हैं। पलायन रोकने के लिए विद्युत ड्यूटी 6 फीसदी तक कम करने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री से इस मामले में बात हो चुकी है।

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