RBI ने बैंकों को किया टाइट, पुराना कर्ज चुकाने को ‘पिछले दरवाजे’ से दे रहे थे नया लोन

भारतीय रिजर्व बैंक ने वैकल्पिक निवेश कोष के जरिये पुराने लोन को लौटाने के लिये नया कर्ज लेने की व्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के साथ ही हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को भविष्‍य में ऐसा न करने को कहा है.

इस संबंध में आरबीआई द्वारा जारी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां उस वैकल्पिक निवेश कोष की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकती है, जिसने वित्तीय संस्थान से पिछले 12 महीनों में कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है.

ये आते हैं एआईएफ की श्रेणी में  
वेंचर कैपिटल फंड, एंजल फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड और हेज फंड समेत कुछ अन्य संस्‍थान वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) की श्रेणी में आते हैं. रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर कहा, “एआईएफ से जुड़े आरई के कुछ लेनदेन जो नियामकीय चिंताओं से जुड़े हैं, हमारे संज्ञान में आए हैं.” रिजर्व बैंक ने कहा है कि नए कदम एआईएफ के जरिये पुराने कर्ज को लौटाने के लिए नई कर्ज देने की व्यवस्था पर रोक लगाने को उठाए गए हैं.

30 दिन के अंदर समाप्‍त करना होगा निवेश
बैंक और एनबीएफसी अपने नियमित निवेश गतिविधियों के तहत एआईएफ की इकाइयों में निवेश करती हैं. बाजार नियामक सेबी ने एआईएफ के जरिए निवेश करने की जानकारी को आरबीआई के साथ साझा किया था. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक और एनबीएफसी एआईएफ की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकते, जिसने वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है. आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ऐसे निवेश को 30 दिन के भीतर समाप्त करने की जरूरत होगी. अगर बैंक और एनबीएफसी निर्धारित समयसीमा में निवेश को समाप्त नहीं कर पाते हैं, उन्हें ऐसे निवेश के लिए 100 फीसदी प्रॉविजन करना होगा.

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