जिस आत्मा को किसी ने देखा नहीं, उसका वज़न होता है 21 ग्राम! रिसर्च में किया गया अजीबोगरीब दावा

रीर और उसकी आत्मा को लेकर विज्ञान से लेकर दर्शन तक काफी प्रयोग होते रहे हैं. आज तक कोई इस बात को सही-सही नहीं जान सका है कि आत्मा आखिर क्या है और वो मृत्यु के बाद निकल जाती है. विज्ञान के पास इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि आत्मा जैसी चीज़ होती है और शरीर में प्रवेश करती है और निकलती है.

हालांकि एक रिसर्च में ये बताने की कोशिश ज़रूर की गई कि आत्मा का भी वज़न होता है.

आत्मा की थ्योरी को दुनिया के तमाम धार्मिक ग्रंथों में स्वीकार किया गया है. इसी थ्योरी पर काम करते हुए साल 1909 में डंकनडॉगल नाम के एक डॉक्टर ने अपने 4 साथियों के साथ मिलकर एक प्रयोग किया. उन्होंने मौत के बेहद करीब जा चुके कुछ मरीज़ों पर ये एक्सपेरिमेंट किया था. उन्होंने मृत्यु से पहले और बाद में उनका वज़न लिया, जो काफी बदला हुआ था.

21 ग्राम निकला आत्मा का वज़न!

प्रयोग को लीड कर रहे डॉक्टर डंकनडॉगल के मुताबिक कुल 6 मरीज़ों पर एक्सपेरिमेंट हुआ था, जिनका वज़न मौत के पहले और बाद में अलग-अलग रहा. ये अंतर सिर्फ 21 ग्राम का था. उनके वज़न में आई 21 ग्राम की कमी को ही आत्मा का वज़न माना गया क्योंकि ये सभी मरीज़ों में एक जैसा ही था. हालांकि मरीज़ों का अपना वज़न अलग-अलग था, लेकिन सभी का शरीर 21 ग्राम हल्का हो गया, जब उनके प्राण निकल गए. डॉक्टर डंकन ने इसे क्रॉस चेक करने के लिए कुत्तों में भी ये रिसर्च किया लेकिन इस बार नतीजा अलग रहा. कुत्तों के वज़न में मरने और जीने के बाद भी कोई अंतर नहीं दिखा.

रिसर्च पर उठाए गए सवाल

डॉग्स का एक्सपेरिमेंट करने के बाद उस थ्योरी की बात होने लगी, जिसमें तमाम लोग कहते हैं कि जानवरों में आत्मा ही नहीं होती. हालांकि सनातन धर्म और वैज्ञानिकों की मानें तो हर जीव में आत्मा होती है, जिसकी वजह से वो चलता-फिरता है. डॉक्टर डंकन के आत्मा वाले रिसर्च को दुनिया भर के कई डॉक्टरों ने मानने से इनकार कर दिया, जबकि वैज्ञानिकों ने भी इससे सहमति नहीं जताई और पूरे मामले को पब्लिसिटी स्टंट करार दे दिया.

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