जम्मू-कश्मीर में लिथियम माइनिंग के लिए तैयार है यह देश, दी यह पेशकश

बीती 9 फरवरी को जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में लिथियम का भंडार मिला. पूरे देश में ये सुर्खियां बन गई. बातें होने लगी कि इससे जम्मू कश्मीर के साथ-साथ भारत की तकदीर भी बदलेगी. संभव भी ता क्योंकि इस धातु की डिमांड साल दर साल बढ़ती जा रही है. लेकिन इसमें एक समस्या भी सामने आई. लिथियम को कच्चे माल से उपयोग करने लायक कैसा बनाया जाए. इसकी एक विशेष टेक्नॉलिजी होती है. जो भारत के पास नहीं है. विश्व का 48 फीसदी लिथियम का उत्पादक चिली है. ये देश भारत के साथ लिथियम के बारे में और जानकारी साझा करने के लिए तैयार हो गया है. पूरी दुनिया में जितना लिथियम का भंडार है उसका लगभग 48 फीसदी चिली में है.
आप ये कह सकते हैं कि ये वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. माथे पर चिंता की लकीरें, जेहन में जोशीमठ की दरारें लिथियम घाटी के लिए वरदान या श्राप? चिली के पास विश्व का 48 परसेंट लिथियम चिली के उत्तर में सालार डी अटाकामा में ही इसका स्टोरेज है. जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना एरिया में 5.9 मिलियन टन लिथियम मिला था. पहले ये कहा जा रहा था कि किसी थर्ड पार्टी को इसको निकालने की जिम्मेदारी दी जाएगी.

जिससे भारत को तकनीकि के बारे में पता चल जाएगा. इसके बाद हम खुद इसका दोहन करने में समर्थ होंगे. चिली और भारत के बीच में अगर समझौता होता है तो फिर चिली लिथियन निकालने से लेकर इसकी पूरी टेक्नॉलिजी भारत के साथ साझा कर सकता है. भारत सरकार के आदेश का इंतजार चिली के विदेश मंत्रालय महासचिव एलेक्स वेटज़िग (Alex Wetzig) ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात की.

इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार लिथियम निकालने की प्रोसेसिंग या प्रोडक्शन से कुछ भी शुरू करना चाहती है तो हम मदद करने के लिए तैयार हैं. बीते शुक्रवार को भारत के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स और मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन से चिली की मीटिंग हुई. इस दौरान बिजनेस, टेक्नॉलिजी, एनर्जी, स्पेस, माइनिंग, एजुकेशन संबंधित तमाम विषयों में परस्पर सहयोग की चर्चा हुई. भारत के साथ रिश्ते और मजबूत करना चाहता है चिली चिली की लीडरशिप चाहती है कि भारत के साथ संबंधों को और मजबूत किया जाए.

उनका मानना है कि भारत बढ़ता हुआ बाजार है. हमारी दिलचस्पी इसमें है. हम चाहते हैं कि अभी जो हमारे बिजनेस के समझौते हैं उनको और बढ़ाया जाए. हम व्यापक आर्थिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट को आगे बढ़ाकर बिजनेस एक्सचेंज चाहते हैं. उन्होंने लिथियम की माइनिंग के लिए भी दिलचस्पी दिखाई. उन्होंने कहा कि SQM जैसी कंपनियां माइनिंग में मदद करने लिए हमेशा तैयार हैं. इसकी टेक्नॉलिजी हम भारत के साथ साझा कर सकते हैं. भारत चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग हो.

इसके लिए जरूरी है कि लिथियम का उपयोग. क्योंकि वो बैटरी में इस्तेमाल होता है. अगर भारत को ये सुझाव पसंद आता है तो ये बड़ी बात होगी. माइनिंग का तजुर्बा है इस कंपनी को SQM कंपनी को लिथियम माइनिंग का तजुर्बा है.

ऑस्ट्रेलिया में इस कंपनी में निवेश किया है. चिली और ऑस्ट्रेलिया के जॉइंट वेंचर भी हैं. चिली का रिकॉर्ड भी ये कहता है कि ये देश कई देशों की लिथियम माइनिंग में मदद कर चुकी है. उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार इस कंपनी से माइनिंग करवाया चाहती है तो इसके दरवाजे खुले हैं. हालांकि चिली और भारत के लिथियम में फर्क है मगर कंपनी को इससे कोई परेशानी नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी ही धातु है जहां ये कंपनी पहले से काम कर रही है. जम्मू-कश्मीर के बाद अब कर्नाटक में मिला लिथियम, EV सेक्टर को मिलेगा बूस्टर

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