कैग की टिप्पणी: एक जैसी नहीं नगर निकायों में चुने हुए प्रतिनिधियों के कार्यकाल की अवधि

महापौर और उप महापौर का कार्यकाल नगरपालिका की अवधि का सह मियादी नहीं था। कैग ने टिप्पणी की कि शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण के लिए कोई तंत्र अस्तित्व में नहीं था। शहरी स्थानीय निकायों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं की गईं। निकायों को 551.94 करोड़ की राशि की तुलना में 549.95 करोड़ जारी किए। नगर परिषद सोलन में राजस्व रहित जल 34 से 47 प्रतिशत के बीच पाया गया है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का वर्ष 2022 का प्रतिवेदन संख्या-एक सदन के पटल पर रखा।

कई अनियमितताओं को उजागर किया

इसमें कैग ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य के शहरी निकायों में कई अनियमितताओं को उजागर किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में महापौर और उप महापौर का कार्यकाल चुनाव की तारीख से ढाई साल था, जबकि अन्य शहरी निकायों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों का कार्यकाल पांच वर्षों के लिए था। इस तरह से महापौर और उप महापौर का कार्यकाल नगरपालिका की अवधि के साथ सह मियादी नहीं था। शहरी स्थानीय निकायों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं की गईं। वर्ष 2015 से 2020 तक शहरी निकायों की बैठकों का प्रतिशत 35 से 95 के बीच रहा। नमूना जांच के बाद सभी शहरी स्थानीय निकायों में हालांकि तीनों स्थायी समितियों का गठन किया गया था। 11 शहरी स्थायी निकायों की इन समितियों में कोई बैठक नहीं हुई। इस तरह से यह स्थायी समितियां काफी समय तक अक्रियाशील रहीं।

कैग ने यह की सिफारिशें

शहरी स्थानीय निकायों को भर्ती करने का अधिकार सौंपा जाए, जिससे वे बिना किसी बाधा के काम कर सकें। निकायों के सभी रिक्त पदों को जल्द भरा जाए। शहरी स्थानीय निकायों की जिम्मेदारियों एवं संसाधनों के अनुसार स्वीकृत पदों में संशोधन किया जाए। जल्द शहरी निकायों के साथ-साथ निदेशालय स्तर पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया जाए।

कोविड के कारण प्रभावित रही लेखा परीक्षा, इसलिए किस्तों में आ रही रिपोर्ट

कोविड के कारण हिमाचल प्रदेश में लेखा परीक्षा का काम भी प्रभावित रहा है। सूत्रों के अनुसार इसी वजह से कैग की यह रिपोर्ट किस्तों में आ रही है। वर्ष 2021-22 की यह रिपोर्ट आगामी दिनों में भी आना संभावित है।

Spread the News

ख़बरें जरा हटके

Verified by MonsterInsights