हिमाचल में लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद, विपक्ष ने सत्तापक्ष पर लगाए लोकतंत्र की हत्या के आरोप

हिमाचल विधानसभा में आउटसोर्स भर्तियों को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने प्रश्नकाल शुरू होने से पहले ही सदन में स्थगन प्रस्ताव लाया और आउटसोर्स भर्ती को लेकर चर्चा की मांग की। स्पीकर द्वारा इसकी इजाजत नहीं मिलने पर विपक्ष ने सदन में नारेबाजी और वॉकआउट किया।

इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक भी हुई। इससे पहले BJP विधायक सुखराम चौधरी, त्रिलोक जमवाल, सुरेंद्र शौरी,रणधीर शर्मा, जनकराज, विपिन सिंह परमार, विनोद कुमार और हंसराज ने आउटसोर्स भर्ती को लेकर चर्चा की मांग की। स्पीकर ने कहा कि बजट सत्र के दौरान आउटसोर्स भर्तियों को लेकर कई प्रश्न लग चुके हैं। तब इस पर चर्चा हो गई। इसलिए अब दोबारा इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। स्पीकर की व्यवस्था से नाखुश विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

हिमाचल के विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों में लगभग 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं। इन कंपनियों के साथ करार खत्म होने की वजह से लगभग 2500 कर्मचारी बाहर हो गए हैं। सैकड़ों की नौकरी पर अभी तलवार लटकी हुई है।

इनके भविष्य का क्या होगा, यह अभी तय नहीं है। इन्हें सेवाएं देते हुए 10 से 20 साल बीत गए है, लेकिन अब तक इनका भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाया। 2017 से तक पूर्व वीरभद्र सरकार और 2017 से 2022 तक जयराम सरकार इन्हें पॉलिसी का झुनझुना देती रही, लेकिन आज तक पॉलिसी नहीं बन पाई।

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