कैग की रिपोर्ट में खुलासा, पशुपालन विभाग में 95 लाख रु. गबन मामले में तीन अफसरों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी

हिमाचल सरकार ने पशुपालन विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन (मुकदमा चलाने) की मंजूरी दे दी है। इसकी पुष्टि पशुपालन महकमे के सचिव राकेश कंवर ने की है। सरकार की मंजूरी के बाद अब विजिलेंस दो सहायक निदेशक और कैशियर के खिलाफ अदालत में चालान पेश करेगी। पशुपालन विभाग के अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने 2016 से 2018 के बीच बैकयार्ड पोल्ट्री योजना, कृत्रिम गर्भाधान के आयातित सीमन फीस जमा करने और पशु चारे में गड़बड़ी की है। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने भी इन अनियमितताओं को लेकर सवाल खड़े किए थे।

कैग की रिपोर्ट के बाद बाद विभागीय जांच में भी यह गड़बड़ी सामने आई है। शुरुआत में यह घोटाला लगभग 65 लाख रुपए का बताया जा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ती गई। यह घोटाला लगभग 95 लाख रुपए का हो गया। विजिलेंस ने इस मामले की इनक्वायरी पूरी कर ली है। विजिलेंस ने नवंबर 2022 में ही राज्य सरकार से इन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी मांग ली थी। इस संबंध में विजिलेंस दो बार प्रदेश सरकार को रिमाइंडर भी भेज चुका है। बीते सप्ताह भी विजिलेंस ने सरकार को ताजा रिमांइडर भेजा था।

मामला सोलन स्थित हैड ऑफिस का है। कृत्रिम गर्भाधान के लिए आयातित सीमन की बिक्री एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में विभाग को 41.40 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। लेकिन कैश बुक में पूरे अमाउंट की एंट्री नहीं की गई। विभाग के अधकारियों ने इसमें से 12.09 लाख रुपए सीधे लैंड डवलपमेंट बैंक में जमा किए गए, जबकि 29.31 लाख की राशि किसी भी बैंक में जमा नहीं हुए।

गर्भित पशु आहार योजना में भी 7.20 लाख रुपए का गबन का दावा किया गया। इस योजना के तहत लाभार्थियों से 2.40 लाख रुपए 2016 से 2018 के बीच विभाग को प्राप्त हुए, लेकिन यह राशि भी बैंक व कैश बुक में एंटर नहीं की गई। इसी तरह कुछ राशि इंडसइंड और एसबीआई बैंक से विड्रा भी की गई, लेकिन कैश बुक में न तो इसकी एंट्री है और न ही कोई वाउचर मिला है। इस तरह यह लगभग 95 लाख रुपए की हेराफेरी हुई है।

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