हिमाचल: गतिरोध खत्म, अब सरकार की सलाह पर होगी कुलपतियों की नियुक्ति

हिमाचल प्रदेश के कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्तियाें के संशोधन विधेयक पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच गतिरोध खत्म हो गया है। अब इन दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति राज्य सरकार की सलाह पर होगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल की कुछ दिन पहले इस विधेयक पर मंत्रणा हुई थी। इसके बाद कुछ शर्तों के साथ राज्यपाल ने इस पर सहमति जताई। अब राजभवन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के प्रतिनिधियों के अलावा नियुक्ति की संस्तुति करने वाली कमेटी में एक प्रतिनिधि राज्य सरकार का भी होगा।

अब तक हिमाचल प्रदेश कृषि, औद्यागिकी और वानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 1986 राज्य के दो विश्वविद्यालयों पर लागू है। यह चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और डाॅ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय सोलन शामिल हैं। सुक्खू सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर में हुए विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में इस संबंध में एक विधेयक पारित करवाया था। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था। उन्होंने इसे अपने पास रोके रखा।

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल इस विधेयक पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से बातचीत करना चाह रहे थे। सूत्रों के अनुसार दोनों में इस पर हाल ही में बातचीत हुई है। इसके बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इसे कुछ शर्तों के साथ स्वीकृति दे दी है। शुक्ल ने स्पष्ट किया है कि संशोधन के अनुसार राज्य सरकार के प्रतिनिधि को इस कमेटी का हिस्सा बनाए जाने में कोई हर्ज नहीं है, मगर वे कृषि और बागवानी की पृष्ठभूमि का होना चाहिए और कुलपति के स्तर का होना चाहिए।

कानून में बदलाव का यह है तर्क
इस कानून में बदलाव के लिए यह तर्क रहा है कि दोनों विश्वविद्यालयों को राज्य सरकार ही बजट देती है, लेकिन अधिनियम के अनुसार कुलपतियों की नियुक्तियों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इस संशोधन से सरकार को कुलपति के चयन की शक्ति देने का प्रावधान किया है। संशोधित अधिनियम के तहत राज्य सरकार इसके लिए अब नियम बना सकेगी।

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