हिमाचल में सुक्खू सरकार के 6 महीने: OPS समेत 6 बड़े फैसले लिए, पहली कैबिनेट मीटिंग में 1 लाख नौकरी का वादा अधूरा

हिमाचल की कांग्रेस सरकार छह महीने का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। इन 180 दिनों में सुक्खू गवर्नमेंट कर्मचारियों और निराश्रित महिलाओं व बच्चों के लिए सच में ‘सुख’ की सरकार साबित हुई। मगर, महिलाएं, किसान, बागवान, बेरोजगार और आम जनता आज भी व्यवस्था परिवर्तन की बाट जोह रहे हैं। इससे सरकार की आलोचना भी शुरू हो गई है।

6 महीने में सरकार के 6 बड़े फैसले..

ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल
सुक्खू सरकार ने पहली ही कैबिनेट मीटिंग में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल कर 1.36 लाख कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया। इस निर्णय से 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन मिलेगी। OPS के लिए सरकार ने SOP भी तैयार कर दी है। अप्रैल महीने से NPS में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर भी बंद कर दिया है। इससे कर्मचारी गदगद हैं।

सुखाश्रय कोष की घोषणा
इन छह महीनों में CM सुक्खू की सुखाश्रय योजना ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी है। योजना के तहत अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, पढ़ाई व दूसरी जरूरतों को पूरा करने, निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों की देखभाल आदि का प्रावधान किया गया है। बड़ी बात यह है कि इस योजना को लागू करने के लिए कानून बनाया गया है।

प्रदेश को ‘ग्रीन हिमाचल’ बनाने का फैसला
सुक्खू सरकार ने साल 2026 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश में ईंधन से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जा रहा है। CM ने ई-बस, ई-ट्रक की खरीद पर 50 लाख तक और ई-टैक्सी की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। HRTC की बसों समेत विभिन्न विभागों की गाड़ियां बदलनी शुरू कर दी गई हैं।

महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए का तोहफा
चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में पहले चरण में 60 साल से अधिक आयु की 2.31 लाख महिलाओं को 1500 रुपए देने का ऐलान कर दिया है। इसी तरह स्पीति की लगभग 850 महिलाओं को भी 1500 रुपए मिलने शुरू हो गए हैं।

शराब पर दूध सेस और वाटर सेस लगाया
अर्से से हिमाचल की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति रही है। मगर किसी भी सरकार ने रिसोर्स मोबालाइजेशन के प्रयास नहीं किए। सुक्खू सरकार ने आय को बढ़ाने के लिए शराब की हर बोतल पर दूध सेस, वाटर सेस, शराब के ठेकों की नीलामी जैसे कदम उठाए। इससे सरकार को कुछ अतिरिक्त आय की उम्मीद है। वाटर सेस के लिए तो बाकायदा कानून बनाया गया।

कर्मचारी चयन आयोग किया भंग
CM सुक्खू ने पेपर लीक व भर्तियों के मामले में गड़बड़ी पर 21 फरवरी को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (HPSSC) हमीरपुर को भंग कर दिया। जैसे जैसे विजिलेंस और विभागीय जांच आगे बढ़ी, उसके आधार पर इस आयोग को टर्मिनेट किया गया, क्योंकि यह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था।

VIP कल्चर को बाय-बाय
CM सक्खू ने विधायकों के VIP ट्रीटमेंट पर कैंची चलाई है और फैसला लिया कि दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित हिमाचल सदन और हिमाचल भवन में विधायकों को आम आदमी की तरह ही 1200 रुपए प्रति दिन के हिसाब से किराए पर कमरा दिया जाएगा। इसी तरह सुक्खू सरकार ने डिपुओं में मिलने वाला खाद्य तेल 37 रुपए प्रति लीटर सस्ता किया है। इस निर्णय की वजह से लगभग 20 लाख राशन कार्ड धारकों को जुलाई महीने से 147 के बजाय 107 रुपए प्रति लीटर में तेल मिलेगा।

इन मोर्चों पर ‌अब तक फेल साबित सुक्खू सरकार

प्रियंका गांधी की गांरटी अभी तक पूरी नहीं
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में हर साल एक लाख युवाओं को रोजगार देने की गारंटी दी थी। सोलन के ठोडो ग्राउंड से प्रियंका गांधी ने इसका ऐलान किया था। मगर, अब सरकार एक लाख नौकरी का जिक्र तक करना भूल गई है। इससे राज्य के करीब 9 लाख पंजीकृत बेरोजगार परेशान हैं। हालांकि शिक्षा विभाग में 5200 टीचरों और कुछेक विभागों में छिटपुट भर्तियों को जरूर मंजूरी दी गई।

डीजल पर वेट जनता पर बोझ
कांग्रेस सरकार ने हिमाचल की कुल आबादी के 2 फीसदी से भी कम NPS कर्मचारियों को खुश करने के लिए 70 लाख की जनता पर बोझ लादा है। OPS देने के लिए सरकार ने डीजल पर प्रति लीटर 3 रुपए वेट लगाया। इससे जनता पर महंगाई का बोझ पड़ा है, क्योंकि सभी खाद्य वस्तुओं, निर्माण सामग्री इत्यादि की कीमतें ट्रांसपोर्टेशन पर निर्भर करती हैं।

भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट नहीं निकालने से बेरोजगार मायूस
हिमाचल प्रदेश स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HPSSC) द्वारा बीते साल ली गई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में से एक को छोड़कर अधिकांश के अब तक रिजल्ट जारी नहीं हो पाए हैं। इससे युवाओं में सरकार के प्रति रोष पनपता जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू 11 मई को एक सप्ताह के भीतर उन भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट निकालने का दावा किया था, जो विजिलेंस की जांच से बाहर हैं। बावजूद इसके अधिकांश के रिजल्ट नहीं निकाले जा सके।

दफ्तर डिनोटिफाइ करने की आलोचना
सुक्खू सरकार ने इन छह महीनों में लगभग 900 दफ्तर डिनोटिफाइ किए हैं। इनमें कुछ ऐसे शिक्षण, स्वास्थ्य तथा दूसरे संस्थान भी बंद किए गए, जिनकी आज जरूरत है। इस वजह से सरकार की आलोचना भी हो रही है। इन्हें बंद करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पूर्व सरकार ने चुनाव में लाभ लेने के लिए इन्हें खोला था।

3500 कर्मचारी नौकरी से बाहर किए हिमाचल में पूर्व में सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या फिर BJP की। सभी सरकारों ने काम निकालने के लिए आउटसोर्स पर सस्ते कर्मचारी रखे। इनका जमकर शोषण भी किया। सुक्खू सरकार ने विभिन्न विभागों में ऐसे लगभग 3500 कर्मचारी नौकरी से बाहर किए हैं।

सरकार में नियुक्तियों पर बवाल
हिमाचल सरकार गंभीर आर्थिक संकट झेल रही है। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने डिप्टी CM, छह CPS, राजनीतिक एडवाइजर, IT एडवाइजर, मीडिया एडवाइजर को कैबिनेट रेंक देकर राज्य के खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला है। खर्चों पर कटौती करने के बजाय अर्थव्यवस्था पर इससे दबाव बड़ा है। हालांकि अब डिप्टी सीएम और मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

छह महीने में ऐतिहासिक फैसले, सभी गारंटी पूरी करेंगे:CM
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने छह महीने में ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। OPS बहाल करना, 6000 अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना, ग्रीन हिमाचल, आय के संसाधन बढ़ाने, विभिन्न विभागों में भर्तियों, VIP कल्चर खत्म करने, महिलाओं को 1500 रुपए देने की गारंटी जैसे कई वादे पूरे कर दिए हैं। आने वाले साढ़े चार साल में कांग्रेस सरकार सभी वादों को पूरा करेगी और हिमाचल को आत्मनिर्भर राज्य बनाकर रहेगी।

हर मोर्चे पर फेल सुक्खू सरकार: जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताया। उन्होंने कहा कि छह महीने सिर्फ नाकामियों के लिए जाने जाएंगे। 10 गारंटियां देकर सत्ता में आई कांग्रेस की सुक्खू सरकार जनता के हितों को भूल गई है। उन्होंने कहा है आज तक सरकारें देने का काम करती थी, लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का दावा करने वाले लोग पुरानी सुविधाओं को भी छीनने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने बदले की भावना से काम करते हुए एक हजार से ज्यादा कार्यरत संस्थानों पर ताला जड़ दिया। 6000 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, चार पांच महीने से आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला। इन छह महीनों में 7000 हजार करोड़ का कर्ज लिया। हिमाचल एक हजार करोड़ के ओवरड्राफ्ट में हैं। ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई।

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