ओटीटी पर रिलीज होने वाली एडल्ट वेबसीरीज और फिल्में बिगाड़ रहीं बच्चों की मनोदशा

देश में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली फिल्में और वेबसीरीज कुछ ऐसी होती हैं, जो सिर्फ 18 वर्ष उम्र से अधिक लोगों के लिए ही होती हैं. इसके बावजूद आसान नियमों के चलते हर वर्ष के लोग इन्हें देख सकते हैं. यही वजह है कि गालियों, लड़ाई झगड़े और अश्लीलता की भरमार होने वाली फिल्मों और वेब सीरीज देखने में स्कूली बच्चे और युवा भी पीछे नहीं हैं. यही कारण है कि बच्चों और युवाओं में आक्रामकता बढ़ रही है. इसको देखते हुए यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग गंभीर हुआ है और केंद्र सरकार को पत्र लिख कर ओटीटी प्लेटफार्म के लिए गाइडलाइन बनाने को कहा है.

OTT कंटेंट बच्चों को बना रहा आक्रामक

लखनऊ की यह दो घटनाएं ही नही, राज्य की ऐसे सैकड़ों घटनाएं जिसमें छोटे बच्चों में आक्रामकता के साथ साथ अश्लील मानसिकता तेजी से उपज रही है. जिसे देख कर उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग हैरान है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ. सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि इन घटनाओं के पीछे निसंदेह ओटीटी प्लेटफार्म में आने वाली फिल्में एक बड़ा कारण हैं. इनमें कुछ ऐसे कंटेंट होते हैं जो नाबालिग बच्चों के देखने लायक ही नहीं होते. जिन्हें उन्हें नहीं देखना चाहिए. इन फिल्मों में दर्शाए गए मारपीट, गाली गलौज और अश्लील दृश्य नाबालिग बच्चों के अंदर आक्रामकता पैदा करने की पहली सीढ़ी होती है. ऐसे में हर मां-बाप और स्कूल के टीचर को यह देखना पड़ेगा कि बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है.

नाबालिगों द्वारा ओटीटी प्लेटफार्म पर एडल्ट कंटेंट देखने और वेरीफिकेशन के नाम पर सिर्फ Yes I am 18+ के ऑप्शन पर क्लिक करने को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आपत्ति जताई है. यही वजह है कि आयोग ने महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा है. पत्र में यह मांग की जा गई है कि ऐसे OTT प्लेटफार्म पर Yes I am 18+ ऑप्शन पर सिर्फ क्लिक करने से नहीं, बल्कि उसमें किसी न किस प्रकार के दस्तावेज की अनिवार्यता की जाए जिससे यह वेरीफाई हो सके कि वेबसाइट देखने वाला बालिग ही है. आयोग मानता है कि भले ही अधिकांश बच्चे इसका भी तोड़ निकाल लें, लेकिन कुछ बच्चों को तो हम सुधार सकते ही है. बाकी केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया जा रहा है कि ओटीटी प्लेटफार्म के लिए सख्त से सख्त नियम बनाए जाए.

 

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