Flyover और Over bridge में क्या होता है अंतर? क्यों हैं दोनों इतने अलग, जानें

फ्लाईओवर (Flyover) का निर्माण अक्सर पहले से मौजूद ट्रैफिक वाली सड़क पर किया जाता है. किसी भी रूट पर अधिक ट्रैफिक होने की वजह से जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण उस रोड पर ही पिलर की मदद से किया जाता है. मुक्ति दिलाने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण उस रोड पर ही पिलर की मदद से किया जाता है.

फ्लाईओवर की लंबाई रूट पर आने वाले ट्रैफिक व वहां की भूगौलिक स्थिति पर निर्भर करती है. कई बार इनकी लंबाई सिर्फ एक से दो किलोमीटर की होती है, जबकि कुछ फ्लाईओवर पांच किलोमीटर से अधिक लंबे होते हैं.

भारत का सबसे लंबा फ्लाईओवपर बंगलुरू में स्थित है, जो कि विश्ववरैया फ्लाईओवर है. इसकी लंबाई 11.6 किलोमीटर है. ओवर ब्रिज की लंबाई फ्लाईओवर से कम होती है.

ओवर ब्रिज का निर्माण भी सड़क पर ही किया जाता है. बस इसका मुख्य उद्देश्य ट्रेन को बिना किसी बाधा के गुजारना होता है. साथ ही इसे कुछ ऐसी सड़कों पर भी बनाया जाता है, जहां पर पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करना मुश्किल होता है.

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