हिमाचल: निजी बसों के रूट परमिट के लिए लाखों के सौदों पर अब लगेगी रोक, नियम बनाएगी सरकार

प्रदेश में बस और ऑटो के रूट परमिट स्थानांतरित करने के लिए अब नियम बनेंगे। प्रधान सचिव परिवहन आरडी नजीम की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक में यह फैसला लिया गया है। सरकार ने परिवहन विभाग को नियम तय करने के निर्देश दिए हैं। 4 अक्तूबर को होने वाली राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगेगी। यदि कोई ऑपरेटर अपनी बस या ऑटो बेचना चाहता है तो उसे अपना रूट परमिट परिवहन विभाग के पास जमा करवाना होगा।

इसके बाद परिवहन विभाग नए सिरे से मांग के अनुसार ऑक्शन के जरिये परमिट जारी करेगा। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 82 के तहत प्रदेश सरकार बस और ऑटो ऑपरेटरों को रूट परमिट जारी करती है और इसके एवज में ऑपरेटर से विशेष पथ कर वसूला जाता है। कानूनन बस या ऑटो बेचने पर रूट परमिट बेचना अवैध है। बावजूद चोरी-छिपे लाखों में परमिट बेचे और खरीदे जा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में रूट परमिट 30 से 35 लाख में बिक रहे हैं।

हालांकि हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन नियम के तहत 37 नंबर फार्म संयुक्त प्रार्थना पत्र पर बेचने वाला और खरीदने वाला संबंधित क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के पास बयान दर्ज कर परमिट का आदान प्रदान करते हैं। रूट परमिट ट्रांसफर के लिए सरकार की ओर से 10,000 रुपये फीस तय की गई है।

प्रार्थना पत्र में लिखना अनिवार्य होता है कि परमिट के एवज में कोई पैसा नहीं लिया जा रहा। बावजूद इसके लाखों के सौदे होते हैं। इस अवैध धंधे पर रोक लगाने के लिए नियम लागू करने की योजना है। सूत्रों का कहना है कि रूट ट्रांसफर फीस भी दोगुनी की जा सकती है। 4 को प्राधिकरण की बैठक में टैक्सियों और बसों के 2500 नए परमिट जारी करने पर भी फैसला होगा।

Spread the News