राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण एक्शन मोड़ में, नकली दवाइयां बनाने वाली कंपनियों की अब खैर नहीं

हिमाचल प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण एक्शन मोड में आ गया है। अब जो उद्योग नकली, मिलावटी और घटिया दवाओं के निर्माण में बार-बार संलिप्त पाए जा रहे है उनका नियमित आधार पर निरीक्षण किया जाएगा साथ ही वार्षिक समीक्षा भी की जाएगी। किसी भी तरह से मानकों की अवहेलना की सूरत में उत्पादन पर रोक व लाइसेंस रद्द करने सरीखे कड़ी कार्रवाई में तत्काल प्रभाव से अमल में लाई जाएगी। बता दें कि नकली व सब-स्टैंडर्ड दवा निर्माण के लगातार आ रहे मामलों की गंभीरता को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव ने राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की और निरीक्षण बढ़ाने से सबंधित कई दिशा-निर्देश जारी किए। बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण द्वारा उन दवा विनिर्माताओं की विशेष जांच करेगा ,जिनकी इकाई में निर्मित दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं।

ऐसी इकाईयों का मासिक व त्रेमासिक आधार पर निरीक्षण भी किया जाएगा। सरकार के मख्य सचिव ने प्रदेश में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की और विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए हर प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया। प्रशासन प्रदेश में उन विनिर्माताओं की विशेष जांच करेगा जिनके सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं। जिसके तहत ऐसे उद्योगों को दो वर्गों में रखा है, श्रेणी ए में नकली और मिलावटी दवाओं के निर्माण से संबंधित अपराध को रखा हैं। दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल भी लिए जाएंगे, जबकि नए निर्देशों के मुताबिक ऐसी इकाइयों की सालाना समीक्षा भी की जाएगी। श्रेणी बी में ऐसे अपराध जो दवा निर्माण के गंभीर दोषों से संबंधित है, मसलन घोर लापरवाही या विनिर्माण मानदंडों के अनुरूप न होने के वह कारण जो दवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं को शामिल किया है। -एचडीएम

बेलगाम उद्योगों पर कार्रवाई

राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण दवाओं के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल ने बड़ी पहल की है। इसके तहत जिन उद्योगों में निर्मित दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं उन पर शिकंजा कसा जाएगा। इसके अलावा नियमित निरीक्षण, सैंपलिंग व सालाना समीक्षा भी की जाएगी। नियमों को धत्ता बताने वाले बेलगाम दवा उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

एक साल में पकड़े नकली दवाओं के चार मामले

प्रदेश में पिछले साल से अब तक नकली दवाओं के चार मामले सामने आ चुके हैं। इसमें तीन इकाइयां फूड सप्लीमेंट की आड़ में अनधिकृत आधार पर दवाओं का निर्माण कर रही थीं । इनमें बद्दी स्थित आर्या फार्मा ,एक्लाइम फॉर्मूलेशंस को फूड लाइसेंस की आड़ में और ट्राइजल फॉर्मूलेशन को अनाधकिृत रूप से नामी कंपनियों के ब्रांड नाम की नकली दवाओं का निर्माण करते हुए पकड़ा था। हाल ही में साइपर फार्मा में करोड़ों की नकली दवाएं पकड़ी गई थी।

50 उद्योग जांच के दायरे में 24 में रोका दवा उत्पादन

एशिया के फार्मा हब के तौर पर उभरे हिमाचल प्रदेश में 650 से ज्यादा दवा निर्माण इकाईयां स्थापित है, जिनमें सालाना 40 हजार करोड़ की दवाओं का उत्पादन होता है। इसके अलावा दस हजार करोड़ से ज्यादा की दवाएं निर्यात की जाती है। सीडीएससीओ द्वारा हर महीने जारी किए जा रहे ड्रग अलर्ट में अब तक हिमाचल के 50 दवा उद्योग ऐसे पाए है, जिनमें निर्मित दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हुए है। इस साल अब तक हिमाचल में निर्मित 76 दवाओं के सैंपल सब-स्टैंडर्ड पाए गए है, प्राधिकरण ने रिस्क बेस्ड इंस्पेकशन के दौरान इन 50 उद्योगों का सीडीएससीओ के साथ संयुक्त निरीक्षण किया और कार्रवाई करते हुए करीब 24 उद्योगों में दवा उत्पादन पर रोक लगा दी।

Spread the News