डोडा नरसंहार: वो ‘काली रात’ जिसकी कहानी सुन आज भी खड़े हो जाते हैं ‘रोंगटे’, कांप उठती है रूह

जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले का जब-जब जिक्र आता है, उस काली रात की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जाते हैं. 30 अप्रैल की देर रात के करीब ढाई बजे थे. लोग अपने घरों में सो रहे थे. तभी दरवाजों पर दस्तक होती है. एक के बाद एक रात में दरवाजे पीटने की आवाजें सुनवाई देनी लगती है. दरवाजे खुलते हैं तो सामने सेना के भेष में भेड़िए खड़े मिलते हैं. ये भेड़िए कोई नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी होते हैं, जो लोगों की कनपटी पर बंदूक तान देते हैं.

डोडा जिले के कुलहंड गांव में आतंकियों को देख चीख पुकार मच जाती है. ये आतंकी लोगों से उनका धर्म पूछकर उनको घरों से खींच लेते हैं. जिसने कहा ‘मैं हिंदू हूं’ उसको लाइन में खड़ा कर दिया. कुलहंड गांव में घुसे लश्कर के ये आतंकी हिंदुओं को मारने आए थे. इन्होंने ना बच्चों में फर्क किया ना महिलाओं में.

शव देखकर डॉक्टर को पड़ गया दिल का दौरा

आतंकियों ने कुलहंड के आसपास करीब सात बस्तियों पर हमला किया था. आतंकियों ने हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया. इस नरंसहार में 22 लोग मार दिए गए. मारे गए लोगों में तीन साल की एक मासूम भी थी. आतंकियों ने इसे भी नहीं बख्शा और गोलियों से छलनी कर दिया. लोगों के साथ ऐसी बर्बता हुई कि सबकी रूह कांप गई. इस नरंहार के चश्मदीद बताते हैं कि अगले दिन जब शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया तो एक डॉक्टर को शव देखकर हार्ट अटैक आ गया.

ललन गल्ला गांव के 35 लोगों को गोलियों से भूना

आतंकियों ने उस दिन उधमपुर जिले के ललन गल्ला गांव पर भी हमला किया. यहां आतंकियों ने 35 हिंदू चरवाहों को किडनैप कर गोलियों से भून दिया. इस दौरान कुछ लोग जंगलों में भाग गए थे, लेकिन बाद में आतंकियों ने उनकी जंगलों में ही हत्या कर दी. उस वक्त आस पास कोई अस्पताल भी नहीं था. घायलों को गांव से तीन घंटे की दूरी पर स्थित डोडा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बताया जाता है कि सुबह होने तक भी सेना और पुलिस के जवान गांव नहीं पहुंच सके थे. जब वह पहुंचे तो आतंकी भाग चुके थे.

आतंकियों ने हिंदुओं को क्यों बनाया निशाना?

जानकारों का कहना है कि आतंकी भारत सरकार और हुर्रियत कॉफ्रेंस के बीच दो दिन बाद होने वाली बैठक को रोकना चाहते थे. तब कश्मीर में अलगाववादियों ने चुनावों के बहिष्कार का ऐलान किया था. अलगाववादियों की चेतावनी के बावजूद हिंदुओं ने चुनावों में खूब वोटिंग की. इससे आतंकी नाराज हो गए और उन्होंने हिंदुओं को गोलियों से भून दिया.

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