पहली बार रोबोटिक सर्जरी की ओर कदम, हिमाचल में मेडिकल उपकरणों की खरीद के लिए बना निगम

हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का एक साल पूरा हो गया है। सरकार ने पहले वर्ष में व्यवस्था परिवर्तन और सुख की सरकार की ओर कदम बढ़ाए हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के द्वारा बजट में हिमाचल प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया था। उन्होंने आईजीएमसी में रोबोटिक सर्जरी विभाग स्थापित करने के लिए अपनी सरकार की स्वीकृति प्रदान की थी। उसी ऐलान को अमलीजामा पहनाने के लिए हिमाचल सरकार ने प्रदेश के टांडा मेडिकल कालेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चम्याना में रोबोटिक सर्जरी की मशीनें स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रोबोटिक सर्जरी शल्य चिकित्सा की बहुत ही आधुनिक तकनीक है। इसमें चिकित्सक कंसोल में बैठकर सर्जिकल साधनों की मदद से मरीज के आपरेशन करते हैं। इस तकनीक की सहायता से पेट के कैंसर, बड़ी आंत, प्रोस्टेट कैंसर और लिवर के कैंसर के ऑपरेशन बहुत आसानी से और जल्द किए जा सकेंगे। रोबोटिक सर्जरी में एक चिकित्सक कंसोल में बैठकर सर्जिकल साधनों की मदद से पेट के कैंसर, बड़ी आंत, प्रोस्टेट और लिवर के कैंसर का आपरेशन आसानी से और जल्दी कर सकेगा। इससे चिकित्सक बीमारी को सही तरह से देख सकेंगे।

एक सामान्य तरीके से आपरेशन करने में जहां तीन घंटे लगते हैं, जबकि रोबोटिक सर्जरी से आपरेशन एक से डेढ़ घंटे में ही हो जाएगा। इसके अलावा पांच से सात लोगों के बजाय एक चिकित्सक, एक एनेस्थीसिया चिकित्सक और एक सिस्टर पूरे आपरेशन का काम संभालेगी। इसके अलावा हिमाचल स्वास्थ्य सेवाएं निगम के बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें स्वास्थ्य मंत्री अध्यक्ष होंगे। प्रधान सचिव व सचिव बोर्ड के उपाध्यक्ष होंगे। बोर्ड में पांच अन्य निदेशक बनाए हैं। इनमें एसीएस वित्त, निदेशक उद्योग, कंट्रोलर स्टोर, निदेशक स्वास्थ्य और प्रबंध निदेशक एचपीएमएससी शामिल हैं। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा ने मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी की है। राज्य चिकित्सा निगम सभी सभी दवाओं, औषधियों, सर्जिकल, चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों, चिकित्सा उपकरणों, उपकरणों, मशीनरी और सेवाओं, किसी भी अन्य वस्तु की खरीद और वितरण के लिए एक राज्य खरीद एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। (एचडीएम)

कैजुअल्टी विभाग की बदलेगी सूरत

राज्य सरकार ने पहले साल में ही मेडिकल कालेज में एमर्जेंसी की जगह एमर्जेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट बनाने की घोषणा की है। इस घोषणा को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने आदेश दे दिए हैं और अब जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। यह व्यवस्था सभी मेडिकल कालेजों में लागू होगी। यदि आईजीएमसी की ही बात करें, तो प्रिंसीपल डाक्टर सीता ठाकुर ने बताया कि आईजीएमसी में एमर्जेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट के लिए चार पद क्रिएट कर दिए गए हैं। यह नया विभाग है, इसलिए इसमें फैकल्टी मिलना थोड़ा मुश्किल रहता है। आईजीएमसी नए भवन में ट्रॉमा वार्ड को शुरू कर रहा है और अब राज्य सरकार के निर्देश हैं कि ट्रॉमा और एमर्जेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट को मर्ज कर दिया जाए। फिलहाल एमर्जेंसी को मेडिसिन के साथ मिलकर चलाया जा रहा है।

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