हिमाचल: करोड़ों की टूरिज्म प्रॉपर्टी सिर्फ 1.5 करोड़ में:लीज नियम पर उठ रहे सवाल; मुख्यमंत्री से गुमनाम शिकायत, अफसरशाही पर गंभीर आरोप

हिमाचल के मशहूर पर्यटन स्थल मनाली में करोड़ों रुपए की सरकारी प्रॉपर्टी सिर्फ 1.5 करोड़ रुपए सालाना की लीज पर दी गई। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा मनाली के बड़ाग्रां में निर्मित प्रॉपर्टी लीज पर देने के नियम सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की प्रॉपर्टी की लीज के लिए L-1 सिस्टम अपनाने के बजाय क्वालिटी कॉस्ट बेस्ड सिस्टम लगाया गया।

वहीं टूरिज्म डिपार्टमेंट की ही मंडी में कन्वैंशन सैन्टर और जंजैहली स्थित पर्यटन संपत्तियों को L-1 नियम लगाकर लीज पर दिया जाता है। इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि एक ही विभाग की टूरिज्म यूनिट की लीज को अलग-अलग नियम क्यों? क्या किसी को फायदा देने के मकसद से ऐसा किया गया?

गौरतलब है कि टूरिज्म डिपार्टमेंट ने बड़ाग्रां में 100 बीघा जमीन पर 28 कमरों, 52 दुकानों, रेस्तरां, डॉरमेट्री, वॉच टावर व पार्किंग स्पेस बनाया। इसे बनाने में लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह प्रॉपर्टी जब बनकर तैयार हुई तो इसकी लीज का हिमाचल प्रदेश इन्फ्रास्ट्रक्चर डवेलपमेंट बोर्ड द्वारा कराई गई। इसकी लीज के वक्त HPIDB के चेयरमैन पूर्व मुख्य सचिव रामसुभग सिंह और MB प्रबोध सक्सेना थे।

दीपा साही को तीन गुणा अधिक अंक

तब इस प्रॉपर्टी की लीज के लिए SDM की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। कमेटी ने बड़ाग्रां प्रॉपर्टी के टेंडर का मूल्यांकन QCBS के तहत किया। टेक्निकल पक्ष के लिए 80% अंक और फाइनेंशियल पक्ष के 20% अंक रखे गए। कमेटी के सामने जब टेंडर का टेक्निकल इवैल्यूएशन किया गया तो दीपा साही को अन्य आवेदकों की तुलना में लगभग तीन गुणा ज्यादा अंक दिए गए और यह प्रॉपर्टी 16 साल के लिए दीपा साही को ली पर दे दी गई।

सामान्य मामलों में नहीं लगता QCBS सिस्टम

जानकारों की मानें तो कन्सल्टैन्सी और अन्य सेवाएं लेने के लिए भारत सरकार द्वारा जो मैन्युअल जारी किया गया है, उसके पैरा 3.9 के अनुसार QCBS सामान्य मामलों में लागू नहीं किया जाता। अब यह जांच का विषय है कि बड़ाग्रां प्रॉपर्टी में यह सिस्टम लग सकता था या किसी को फायदा देने के लिए ऐसा किया गया।

इतना जरूर है कि यदि L-1 सिस्टम से प्रॉपर्टी का आवंटन किया होता तो इससे राज्य सरकार को और अधिक आय होती।

मुख्यमंत्री से गुमनाम व्यक्ति ने की शिकायत

सूत्र बताते हैं कि बड़ाग्रां प्रॉपर्टी लीज के बाद कुछ नियमों में संशोधन के लिए फाइल मूव की गई है।

इस बीच एक गुमनाम शिकायत भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से कर दी गई है। इसमें कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए प्रॉपर्टी की लीज पर सवाल खड़े किए गए।

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