मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह जिले में निर्माणाधीन पुल हुआ ध्वस्त

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में बुधवार देर रात एक निर्माणाधीन पुल के स्लैब के टूटकर दो हिस्से हो गए। गनीमत रही कि जब पुल टूटा उस वक्त मौके पर कोई मजदूर नहीं था अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। पुल के निर्माण कार्य का टेंडर लोक निर्माण विभाग ने एक भाजपा नेता को आवंटित किया है लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिले में टूटे इस पुल ने लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। लोक निर्माण विभाग ने विधानसभा क्षेत्र भोरंज के तहत कोट-जाहू रोड और पुल का टेंडर वर्ष 2.42 करोड़ में 2020-21 में आवंटित किया था। पुल की कुल लंबाई 75 मीटर और सड़क की लंबाई दो किलोमीटर है। जिस खड्ड पर यह पुल बन रहा है, वहां नक्शे के अनुसार चार पिलर खड़े किए जा रहे हैं। 75 मीटर लंबे इस पुल पर 25-25 मीटर के तीन स्लैब पड़ने हैं।

सभी औपचारिकताएं पूरा करने के बाद भाजपा नेता ने इस पुल और सड़क का टेंडर हासिल किया है। टेंडर के बाद संबंधित ठेकेदार ने पुल का निर्माण कार्य शुरू किया। एक स्लैब संबंधित ठेकेदार ने डाल दिया है। स्लैब डालने के बाद बुधवार को दिन के समय पुल की शटरिंग खोली गई लेकिन यह पुल कुछ घंटे भी सहन नहीं कर सका और बुधवार देर रात को स्लैब के दो हिस्से होकर नीचे गिर गए। हैरानी की बात यह है कि पुल का स्लैब गिरने के बाद संबंधित स्थल से सारा मैटीरियल ही गायब कर दिया। ऐसा लग रहा है कि यहां पुल था ही नहीं। लोक निर्माण विभाग ने उच्चाधिकारियों ने कुछ दिन पूर्व ही संबंधित निर्माणाधीन पुल का निरीक्षण किया था और उसे दौरान इसमें खामियां बताई थीं लेकिन पूर्व में विभाग के उपमंडल स्तर के अधिकारी क्या करते रहे, इस पर सवाल उठ रहा है।

अधिकारियों ने आंखों में पट्टी बांध कर दी पेमेंट

वर्ष 2020 में इस पुल का कार्य आवंटित शुरू हुआ था और 2021 में कार्य शुरु हुआ जिसमें से करीब 35 फीसदी कार्य का भुगतान संबंधित ठेकेदार को किया जा चुका है। यहां पर अधिशासी अभियंता भोरंज के पद पर पहले वीरेंद्र गुलेरिया, उनके बाद अरविंद लखनपाल और अभी हाल ही में इंजीनियर प्रमोद कश्यप सेवाएं दे चुके हैं। बीते सप्ताह ही अधिशासी अभियंता प्रमोद कश्यप पदोन्नत होकर यहां से रिलीव हो गए हैं। वर्तमान में अधिशासी अभियंता टौणी देवी केके भारद्वाज के पास भोरंज के अधिशासी अभियंता का अतिरिक्त कार्यभार है। जब कोई प्रोजेक्ट का टेंडर आवंटित होता है तो संबंधित ठेकेदार के निर्माण कार्य पर जेई, एसडीओ और एक्सईएन को समय-समय पर निरीक्षण करना होता है। जितना काम होता है, उस हिसाब से एमबी में प्रवृष्टि कर संबंधित ठेकेदार को भुगतान का क्रम काम खत्म होने तक जारी रहता है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या विभाग के अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध कर बिना गुणवत्ता जांचे ही संबंधित ठेकेदार को भुगतान कर दिया।

कहा कहते हैं अधिकारी

कोट-जाहू रोड पर बन रहे पुल का गत दिवस उच्चाधिकारियों ने निरीक्षण किया था। पुल में तकनीकी कमियां पाई गई थीं। संबंधित ठेकेदार को दिशा-निर्देश जारी किए थे।

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