पालतू जानवरों को चूमना पड़ सकता है महंगा, गंभीर बीमारी से हो सकते हैं संक्रमित, जानें विशेषज्ञों ने क्या कहा

हाल के दशकों में पालतू जानवरों के साथ हमारे रिश्ते में काफी बदलाव आया है. पालतू जानवरों को पालने का चलन बढ़ा है. हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 69 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई घरों में कम से कम एक पालतू जानवर है. पालतू जानवरों की देखभाल पर हर साल अनुमानित रूप से 33 अरब डॉलर खर्च होता हैं. पालतू जानवर रखना कई मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभों से जुड़ा हुआ है. लेकिन, हमारे पालतू जानवर संक्रामक रोगों को भी पनाह देते हैं जो कभी-कभी हमारे तक भी पहुंच सकते हैं.

अधिकांश लोगों के लिए यह जोखिम कम होता है. लेकिन गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को जानवरों से बीमार होने का अधिक खतरा होता है. इसलिए, जोखिमों को जानना और संक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है.

पालतू जानवरों से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?

पालतू जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले संक्रामक रोगों को जूनोटिक रोग या जूनोज कहा जाता है. यह जानवरों के 70 से अधिक रोगाणु लोगों में फैल सकते हैं. कभी-कभी, पालतू जानवर जिसमें जूनोटिक रोगाणु होता है वह बीमार लग सकता है. लेकिन, अक्सर कोई दृश्यमान लक्षण नहीं होता है, जिससे इंसानों के संक्रमित होने का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि आपको अपने पालतू जानवर में रोगाणु के आश्रय होने का संदेह नहीं होता है.

जूनोज सीधे पालतू जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित हो सकता है, जैसे लार, शारीरिक तरल पदार्थ और मल के संपर्क के माध्यम से, या अप्रत्यक्ष रूप से, जैसे दूषित बिस्तर, मिट्टी, भोजन या पानी के संपर्क के माध्यम से. अध्ययनों से पता चलता है कि पालतू जानवरों से जुड़े जूनोज का प्रसार कम है. हालांकि, संक्रमणों की वास्तविक संख्या को कम करके आंका गया है.

कुत्ते और बिल्लियां वायरस, बैक्टीरिया, कवक और परजीवियों से होने वाले जेनोटिक संक्रमण (जिसका अर्थ है कि रोगाणु स्वाभाविक रूप से उनकी आबादी में रहते हैं) के प्रमुख आश्रय स्थल हैं. अफ्रीका और एशिया के स्थानिक क्षेत्रों में, कुत्ते रेबीज का मुख्य स्रोत हैं जो लार के माध्यम से फैलता है.

कुत्ते के मुंह और लार में कैप्नोसाइटोफागा बैक्टीरिया रहते हैं, जो निकट संपर्क या काटने के माध्यम से लोगों में फैल सकता है. अधिकांश लोग बीमार नहीं पड़ेंगे, लेकिन ये बैक्टीरिया कभी-कभी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर बीमारी हो सकती है और किसी किसी स्थिति में मृत्यु भी हो सकती है.

बिल्ली से जुड़े जूनोज में मल-मौखिक मार्ग से फैलने वाली कई बीमारियां शामिल हैं, जैसे जिआर्डियासिस, कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस, साल्मोनेलोसिस और टॉक्सोप्लाज्मोसिस. इसका मतलब यह है कि अपनी बिल्ली की कूड़े की ट्रे को संभालते समय अपने हाथ धोना या दस्ताने का उपयोग करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. बिल्लियां कभी-कभी काटने और खरोंच के माध्यम से भी संक्रमण फैला सकती हैं.

कुत्ते और बिल्लियां दोनों मेथिसिलिन-प्रतिरोधी जीवाणु स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) के भंडार हैं. पक्षी, कछुए और मछलियां भी रोग फैला सकते हैं. पालतू पक्षी भी कभी-कभी सिटाकोसिस फैला सकते हैं. यह जीवाणु से होने वाला संक्रमण है जो निमोनिया का कारण बनता है.

पालतू कछुओं के संपर्क को मनुष्यों में, विशेषकर छोटे बच्चों में साल्मोनेला संक्रमण से जोड़ा गया है. यहां तक कि पालतू मछली को भी मनुष्यों में कई प्रकार के जीवाणु संक्रमण से जोड़ा गया है. जिसमें विब्रियोसिस, माइकोबैक्टीरियोसिस और साल्मोनेलोसिस शामिल हैं.

पालतू जानवरों को चूमने से मालिकों में कभी-कभी जूनोटिक संक्रमण से भी देखा गया है. एक मामले में, जापान में एक महिला को नियमित रूप से अपने कुत्ते के चेहरे को चूमने के बाद उसे पास्चुरेला मल्टीकोडा संक्रमण के कारण मेनिनजाइटिस हो गया था.

छोटे बच्चों में भी ऐसे संक्रमण की संभावना अधिक होती है जिससे उन्हें पशु-जनित बीमारियों से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है-जैसे पालतू जानवरों को छूने के बाद अपने हाथों को अपने मुंह में डालना. बच्चे पालतू जानवरों को छूने के बाद भी ठीक से हाथ नहीं धोते हैं, जिससे उन्हें संक्रमित बिमारी की संभावना बढ़ जाती है. जिन लोगों के गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है, इनमें युवा, बूढ़े, गर्भवती और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग शामिल हैं.

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