हिमाचल: हाई कोर्ट ने जिला उप न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादी की तैनाती पर रोक लगाई

प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालती आदेशों की अवमानना के मामले में प्रधान सचिव गृह सहित सहायक एवं जिला उप न्यायवादी को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जिला उप न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादी की तैनाती पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि उक्त अधिकारियों ने ज्वाइन कर लिया है तो उनके कर्तव्य निर्वहन पर रोक रहेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की ओर से 24 कोर्ट ने कहा- आदेश के बावजूद जिला उप न्यायवादी व सहायक जिला न्यायवादी को समायोजित करने के लिए अधिसूचना जारी की अप्रैल को डीए और डीडीए के स्थानांतरण को लेकर आदेश पारित होने तक किसी भी उप एवं सहायक जिला न्यायवादी का तबादला रद या संशोधित नहीं किया गया था।

24 अप्रैल को मामले पर सुनवाई के दौरान संयुक्त निदेशक व निदेशक अभियोजन अदालत में उपस्थित हुए थे। अदालत ने हैरानी जताई कि प्रधान सचिव गृह ने कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद जिला उप न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादी को समायोजित करने के लिए 24 अप्रैल को ही अधिसूचना जारी की है। इस ने दो न्यायवादियों के तबादला अधिसूचना के तहत प्रदेश सरकार आदेश रद कर दिए थे। हालांकि, अभियोजन विभाग की मौजूदगी में 24 अप्रैल को ही अदालत ने उन सहायक या जिला उप न्यायवादी को 48 घंटे के भीतर तैनाती देने का आदेश दिया था, जिन्होंने तबादला आदेश के बावजूद अपना कार्यभार नहीं संभाला था।

एक मामले में जिला उप न्यायवादी का तबादला 13 मार्च, 2023 को आबकारी एवं कराधान कार्यालय शिमला से जिला न्यायवादी कार्यालय सिरमौर किया गया था। इसी तरह दूसरे मामले में सहायक जिला न्यायवादी को भी उपायुक्त कार्यालय शिमला से जिला न्यायवादी कार्यालय मंडी स्थानांतरित जिला उप न्यायवादी का तबादला किया गया था। सचिव गृह ने रद कर दिया और सहायक जिला न्यायवादी को एचपीपीसीएल शिमला में समायोजित किया गया। कोर्ट ने अपने 24 अप्रैल के आदेश में कहा था कि कुछ अधिकारियों ने 13 मार्च और 31 मार्च की अधिसूचना के अनुसार केवल इसलिए अपने स्थानांतरित स्थानों पर तैनाती नहीं दी, क्योंकि वे अपने मनपसंद स्थानों पर तैनाती की कोशिश में लगे हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन निदेशालय राजनीतिक हस्तक्षेप और अन्य दबाव मुक्त होना चाहिए।

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