मनरेगा में कार्य करने में कुल्लू, शिमला और ऊना सबसे आगे, आपदा प्रभावित जिलों के लिए मददगार बनी योजना

हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के तहत कार्य करने में कुल्लू, मंडी और ऊना जिला सबसे आगे रहे हैं। सोलन, कांगड़ा और लाहौल-स्पीति कार्य दिवस अर्जित करने की प्रतिशतता में पीछे रहे हैं। कुल्लू, मंडी और ऊना तीन जिलों ने मनरेगा के तहत कार्य दिवस अर्जित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इसमें 122 फीसदी कुल्लू, 118 फीसदी मंडी और 112 फीसदी ऊना में कार्य दिवस अर्जित करने पर प्रदेश में क्रमश : प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे हैं। इसके विपरीत कार्य दिवस अर्जित करने में सोलन सबसे ज्यादा पिछड़ा है। जिसकी प्रतिशतता 74 आंकी गई है। कांगड़ा की 81 प्रतिशत, जबकि लाहौल-स्पीति की 83 प्रतिशत आंकी गई है। विभाग की ओर से 2,45,56,966 कार्य दिवस अर्जित करने का लक्ष्य प्रदेश के 12 जिलों को दिया गया है। इनमें से वर्तमान में अब तक 249,51072 कार्य दिवस अर्जित कर लिए गए हैं।

प्रथम तीन श्रेणियों में कुल्लू, मंडी और ऊना की अग्रणी भूमिका होने के पीछे आपदा के दौरान रिटेनिंग और डंगों का निर्माण कार्य भी मनरेगा के तहत होने का फायदा मिला है। मनरेगा आपदा प्रभावित जिलों के लिए मददगार साबित हुई है। जहां पर लोगों को मनरेगा के तहत डंगे और रिटेनिंग वाल का निर्माण कार्य शामिल किया गया है। डीआरडीए ऊना की परियोजना अधिकारी शेफाली शर्मा का कहना है कि मनरेगा में जनवरी माह तक कार्य दिवस अर्जित करने में कुल्लू, मंडी और ऊना जिला प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे हैं। जबकि सोलन कांगड़ा और लाहौल-स्पीति कार्य दिवस अर्जित करने में पिछड़े हैं।

ऊना में 22,887 को मिला रोजगार
ऊना जिला में 76,283 जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इनमें से 22,887 को रोजगार प्रदान किया गया है, जबकि 10,30,740 कार्य दिवस के रूप में व्यक्तिगत तौर पर काम दिया गया है। 1044 लोगों ने 100 दिन या इससे अधिक कार्य पूर्ण किए हैं। इसमें 22 करोड़ 20 लाख रुपये मजदूरी, 18 करोड़ 88 लाख रुपये सामग्री और 3 करोड़ 33 लाख रुपये प्रशासनिक कार्यों पर खर्च किए गए हैं।

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