चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर SC की सख्त टिप्पणी, ‘लोकतंत्र की हत्या, हम भयभीत हैं’

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मूल अभिलेखों को संरक्षित करने का आदेश दिया है क्योंकि आप ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव को चुनौती दी, जिसमें भाजपा के मनोज कुमार सोनकर ने जीत हासिल की थी. कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) ने मतपत्रों को विरूपित कर दिया. साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह लोकतंत्र की हत्या जैसा है और लोकतंत्र का मजाक है जिससे हम भयभीत हैं. मामले में संबंधित अधिकारी को अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में उपस्थित होने के लिए तलब किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर मतपत्रों को विकृत करने का वीडियो देखा, कहा कि वह चुनाव अधिकारी के व्यवहार से हैरान है. शीर्ष अदालत ने चंडीगढ़ के अधिकारियों को नोटिस जारी किया, मतपत्रों और कार्यवाही के वीडियो को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चुनाव परिणाम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. वहीं भाजपा उम्मीदवार को चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर घोषित किया गया था.

सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह स्पष्ट है कि रिटर्निंग अधिकारी ने मतपत्रों को विकृत कर दिया है और उन पर मुकदमा चलाने की जरूरत है. मेहता ने अदालत से घटना के पूरे वीडियो की जांच करने का आग्रह किया. उस प्रक्रिया की कड़ी आलोचना करते हुए जिसमें रिटर्निंग अधिकारी ने आप-कांग्रेस गठबंधन के आठ वोट रद्द कर दिए, सीजेआई ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरओ ने मतपत्रों को विकृत कर दिया है और उस पर मुकदमा चलाने की जरूरत है.

बता दें कि भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कांग्रेस-आप गठजोड़ के खिलाफ जीत हासिल की थी. महापौर पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था। सोनकर को 16 जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 12 वोट मिले थे. वहीं, आठ वोट को अवैध घोषित कर दिया गया था.

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