ठ‍ियोग के सबसे बड़े अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, मरीज हो रहे परेशान

ठियोग:  ठियोग के सबसे बड़े अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। दो माह में अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या 17 से घटकर मात्र आठ रह गई है। ठियोग उपमंडल की लगभग 50 पंचायतों के साथ चौपाल, जुब्बल-कोटखाई, सिरमौर के इलाके की जनता को किस तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही होंगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि, कुछ महीनों में अस्पताल में सर्जरी के नए आयाम स्थापित किए हैं।

स्‍टाफ और स्टाफ नर्सों की कमी के कारण डॉक्टर ऑपरेशन टालने को मजबूर

 

अस्पताल के डॉक्टरों ने पहली बार बड़े ऑपरेशन किए हैं, लेकिन अब स्टाफ और स्टाफ नर्सों की कमी के कारण डॉक्टर ऑपरेशन टालने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में ब्लड बैंक की मांग भी कई वर्षों से की जा रही है, जिसके बारे में सरकार को जल्द कोई समाधान निकालना चाहिए।

मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख कर रहे मरीज

भाजपा सरकार की ओर से अस्पताल को 200 बिस्तरों का करने की घोषणा की थी, जिसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने रद्द कर दिया है। 150 बिस्तरों के इस अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अस्पताल में रोजाना विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीज अपनी जांच करवाने के लिए पहुंचते हैं। इनमें से 50 से अधिक मरीजों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है। स्टाफ की कमी के कारण इलाज न मिलने पर मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। रोगी कल्याण समिति की बैठक विधायक कुलदीप राठौर की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें उनके सामने स्टाफ की कमी सहित अन्य सभी मुद्दे रखे गए थे।

अस्पताल में प्रतिदिन 400 से अधिक लोग पहुंचते हैं जांच करवाने

सिविल अस्पताल में रोजाना 400 से अधिक मरीजों की जांच की जाती है। गर्मियों के दिनों में यह आंकड़ा 500 के पार हो जाता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण बाकी ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों पर भी अनावश्यक कार्यबोझ पड़ता है। विशेषज्ञों की कमी के कारण जनता को शिमला के अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक और मानसिक नुकसान झेलना पड़ता है। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को भारी-भरकम फीस देकर निजी क्लीनिकों की ओर जाने को मजबूर होना पड़ता है।

कौन-कौन से पद खाली

अस्पताल में रेडियोलोजिस्ट का पद खाली होने से सबसे अधिक परेशानी का सामना गर्भवती महिलाओं और पेट की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को करना पड़ रहा है। आंखों के दो डाक्टरों के पद खाली हैं। इसके अलावा ईएनटी, मेडिसिन के डाक्टर नहीं हैं। मेडिसिन विशेषज्ञ का पद दो साल से खाली है। दस में से पांच स्टाफ नर्स, चार में से दो लैब तकनीशियन, तीन में से दो फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी के 12 में से आठ पद खाली हैं। कई वर्षों से एंबुलेंस चालक का पद भी खाली है।

कई विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा स्टाफ नर्सों सहित अन्य पद खाली हैं। इस बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। सपोर्टिंग स्टाफ के खाली पद जल्द भरने की मांग की गई है। पवन शर्मा, प्रभारी, सिविल अस्पताल ठियोग  ने कहा  है की  स्टाफ की कमी के कारण ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा रोजाना चार सौ से अधिक मरीज इलाज करवाने पहुंचते हैं।- पवन शर्मा, प्रभारी, सिविल अस्पताल ठियोग।

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