हिमाचल प्रदेश के किसान और बागवोनों की टूटी कमर, हिमपात व ओलावृष्टि से 83 लाख का नुकसान

हिमपात और ओलावृष्टि ने जिला के आनी और निरमंड के 94 किसान बागवानों को 82.5 लाख का नुकसान हुआ है। 26 मार्च को हुए हिमपात और ओलावृष्टि से किसान बागवानों की कमर तोड़ दी है। हिमपात और ओलावृष्टि से एंटी हेलनेट व सेब के पौधों की टहनियां टूटने के साथ कई जगह पूरे पेड़ जमीन पर गिर गए।

जिस कारण बागवानों की वर्षों से की गई मेहनत पर पानी फेर दिया है।सबसे अधिक नुकसान आनी और निरमंड उपमंडल में हुआ है।

82.5 लाख का हुआ नुकसान

निरमंड के चायल, बागा सराहन, आनी के बुच्छैर, टकरासी पंचायत के बागवानों को अधिक नुकसान हुआ है। इसमें निरमंड के सगोफा, जुआगी, टिंगर, बागा सराहन में और आनी के बुच्छैर, टकरासी, ठारवी, परकेड, चौकड़ी, कोलथा, दारन गांव को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। यहां पर बगीचों में लगाए एंटी हेलनेट की जाली फट गई और सेब के पौधों की टहनियां टूट गई हैं। इसके बाद बागवानी विभाग ने इसका आकलन किया तो कुल 82.5 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया।कुछ बागवानों के खेत में एंटी हेलनेट का नामो निशान तक नहीं बचा।

ओलावृष्टि से बचाव के लिए लगाई गई जाली हुई नष्ट

हिमपात और ओलावृष्टि से बचने के लिए लगाई गई जाली नष्ट हो गई जाली को टिकाने के लिए लगाए गए बांस के डंडे भी टूट गए हैं। बागवान शेर सिंह, संतोष कुमार, डोला राम, तेज राम, लीला प्रसाद, श्याम दास, डोला राम, हीरूराम, आदि ने बताया कि हमारे सेब के पौधे ही टूट गए हैं। बांस एक भी नहीं बच पाया ऐसे में साल भर कैसे अपना गुजारा करेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके नुकसान का उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।

Spread the News