कौन से अपराध गंभीर श्रेणी में आते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र करे परिभाषित

गंभीर अपराध के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह पहचान करने की जरूरत है कि कौन से अपराध गंभीर की श्रेणी में आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा, सबसे पहले केंद्र को गंभीर अपराधों की पहचान करने की जरूरत है। ये परिभाषित होने चाहिए। इसके बाद हम जुलाई में इस पर सुनवाई करेंगे। वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 सितंबर को इस मामले में विधि व न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका में उपाध्याय ने केंद्र और चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की कि गंभीर अपराध में जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं और जिनके खिलाफ ट्रायल शुरू हो गया है, इन सभी को चुनाव लड़ने से रोके। इस जनहित याचिका में कहा गया है कि लॉ कमीशन और इस कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेशों के बावजूद केंद्र और चुनाव आयोग ने इस मामले में कुछ नहीं किया। याचिका के अनुसार 2019 में चुनाव जीते 539 सांसदों में 233 (43%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
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