हिमाचल में हिमालयन कस्तूरी मृग की मौत, उपचार के दौरान दम तोड़ा

हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी से घायल अवस्था में रेस्क्यू किए गए हिमालयन कस्तूरी मृग ने दम तोड़ दिया है। घाटी के रापे गांव के पास शुक्रवार सुबह कस्तूरी मृग घायल अवस्था में मिला। ग्रामीणों ने इलाज के लिए घायल कस्तूरी मृग को वन विभाग के सुपुर्द किया, लेकिन उसने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

हिम तेंदुए के चंगुल से छूटकर आया

जोबरंग पंचायत के पूर्व प्रधान सोमदेव योकी ने घायल कस्तूरी मृग रेस्क्यू करने की सूचना वन विभाग को दी। सूचना मिलते ही विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे और घायल कस्तूरी मृग का प्राथमिक उपचार करवाया गया, लेकिन इलाज शुरू होने के कुछ समय बाद ही जानवर ने दम तोड़ दिया।

कस्तूरी मृग की मौत किस वजह से हुई, यह अभी पता नहीं चला है। माना जा रहा है कि घायल अवस्था में मिला कस्तूरी मृग स्नो लैपर्ड के चंगुल से छूटकर रिहायशी इलाके में पहुंचा था। गांव के प्रधान ने ग्रामीणों के साथ मिलकर घायल कस्तूरी मृग का रेस्क्यू किया। भूख मिटाने के लिए हिम तेंदुए अकसर इनका शिकार करते हैं।

लाहौल घाटी में शिकार में पाबंदी

अधिकतर लोग इसे हिमालयन मस्क डियर के नाम से जानते हैं। पट्टन वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र पाल ने कहा कि पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सक से कस्तूरी मृग का उपचार करवाया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। लाहौल घाटी में शिकार पर पाबंदी है। ऐसे में यहां वन्य जीवों से कोई छेड़छाड़ नहीं करता है।

उधर, जोबरंग पंचायत के पूर्व प्रधान सोमदेव योकी ने कहा कि ग्रामीणों के साथ वन और पशुपालन विभाग की लाख कोशिश के बावजूद इस बेशकीमती जानवर की जान को बचाया नही जा सका।

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